लखनऊ। नवयुग कन्या महाविद्यालय (Navyug Kanya Mahavidyalaya) के मनोविज्ञान विभाग (Department of Psychology) के तत्वाधान में अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस (International Happiness Day) के अवसर पर ‘कैसे प्रसन्न रहें’ विषयक एक संगोष्ठी (Seminar on ‘How to be Happy) आयोजित की गई । संगोष्ठी में मुख्य वक्ता प्रोफेसर सृष्टि श्रीवास्तव (Pro Srishti Srivastava) पूर्व विभागाध्यक्ष मनोविज्ञान विभाग नवयुग कन्या महाविद्यालय, लखनऊ एवं विशिष्ट वक्ता प्रो सपना वर्मा पूर्व प्राचार्या नारी शिक्षा निकेतन पी जी कालेज , लखनऊ उपस्थित रहीं।
संगोष्ठी का प्रारंभ दीप प्रज्वलन और अतिथियों का स्वागत स्मृति चिन्ह और पौध से किया गया। मुख्य वक्ता प्रो सृष्टि श्रीवास्तव ने कहा कि 2012 में भूटान के राष्ट्रपति ने कहा था कि केवल आर्थिक समृद्धता से ही कोई व्यक्ति खुश नहीं रह सकता।इस विचार से प्रेरित होकर 20मार्च को अंतरराष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस मनाया जाने लगा। उन्होंने कहा कि प्रसन्नता एक अनुभूति है।जो हमारे अंदर हैभी और नहीं भी 2025में प्रसन्नता दिवस का मुख्य उद्देश्य वाक्य शेयरिंग और केयरिंग है।
प्रो सृष्टि श्रीवास्तव ने कहा कि आज के व्यस्ततम जीवन में लोग आपस में बातचीत नहीं करते हैं अपनी खुशियां और ग़म बांटते नहीं है । इसलिए अवसाद में रहते हैं। आज हम सबको यह निश्चय करना चाहिए कि हम अपनी भावनाओं को दूसरे के साथ बांटे। हमारी मूल संवेदनाएं मर रहीं हैं। असफलताएं हमारे जीवन का एक हिस्सा है हम असफलता से डरें नहीं बल्कि आगे बढ़े। उन्होंने दो प्रकार की प्रसन्नता बताई- हिडोनिक और यूडेमानिक। हिडोनिक क्षणिक प्रसन्नता है और यूडेमानिक स्थायी प्रसन्नता है। प्रो सृष्टि श्रीवास्तव ने PERMA Model. के पांच मुख्य तत्व भी बताए। उन्होंने कहा कि खुशियां उगे न खेत में, मिलें न हाट बाजार। अपने अंदर ढूंढ लो भरा पड़ा संसार।।
विशिष्ट वक्ता प्रो सपना वर्मा ने कहा कि जब हमें खुशी महसूस होती है तो वो हमारे होंठो पर स्वयं आ जाती है। इसलिए जब तक आप अंदर से खुश नहीं होंगे तब तक बाहर से भी आप प्रसन्न नहीं दिखेंगे। उन्होंने कुछ विशेष टूल्स बताते हुए कहा कि सामाजिक समर्थन,आय, स्वास्थ्य, स्वतंत्रता,उदारता, भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज इनके द्वारा ही आप जीवन में प्रसन्न रह सकते हैं। उन्होंने कहा कि 2024के सर्वे में 143देशों में भारत 126 वां रैंक भारत को मिला है। हमें देश के लिए उदारता , सहानुभूति और विश्वास की भावना रखना चाहिए। उन्होंने कुछ उपाय भी बताए कि कैसे हम निरंतर खुश रह सकते हैं।
इस अवसर पर प्राचार्या प्रोफेसर मंजुला उपाध्याय ने कहा कि आज का युवा वर्ग आत्महत्या की ओर प्रेरित हो रहा है क्योंकि उसके ऊपर दबाव है। पढ़ाई का , नौकरी का जो उसको उसके परिवार द्वारा ही दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि संयुक्त परिवार एक इमोशनल कुशन की भांति कार्य करता है। कार्यक्रम का संचालन डा सोनल अग्रवाल ने किया। डॉक्टर सोनल अग्रवाल विभागाध्यक्ष मनोविज्ञान विभाग के कुशल निर्देशन में निहारिका शुक्ला एवं सुचिता सिंह के सहयोग से संपन्न हुआ।