काशी विशिष्ट निर्वाचन क्षेत्र के रूप में महत्वपूर्ण नहीं है। यहां के एमपी विगत सात वर्षों से देश के पीएम है। महत्वपूर्ण यह कि नरेंद्र मोदी ने काशी की पौराणिक महिमा को भावना के धरातल पर समझा है। इसी के अनुरूप वह काशी को विश्वस्तरीय पर्यटक स्थल के रूप में प्रतिष्ठित कर रहे है।
इस योजना में काशी का समग्र विकास समाहित है। काशी के प्रति भारत ही नहीं दुनिया के अनेक देशों की आस्था जुड़ी हुई है।
ऐसे में यहां होने वाले विकास विश्व स्तर पर महत्वपूर्ण होता है। कुछ महीने पहले नरेंद्र मोदी ने यहां रुद्राक्ष सेंटर का उद्घाटन किया था। जिसमे जापान के नव निर्वाचित प्रधानमंत्री वर्चुअल माध्यम से सहभागी हुए थे।
इसके पहले जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री यहां की विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती में शामिल हुए था। नरेंद्र मोदी अपने पिछले कार्यकाल में जापान के क्वेटो नगर की यात्रा पर गए थे। नरेंद्र मोदी ने जब काशी को क्वेटो जैसा विकसित कर ने की बात कही थी, तब इसका प्रतीकात्मक महत्व था। क्वेटो को विश्वस्तरीय बनाने में वहां की अनेक सरकारों ने प्रयास किया था। जबकि हमारे यहां इस प्रकार के विजन का अभाव रहा है।
नरेंद्र मोदी सरकार ने तीर्थाटन व पर्यटन पर अत्यधिक जोर दिया। इस विषय को प्राथमिकता में शामिल किया। नरेंद्र मोदी ने गुजरात में बतौर मुख्यमंत्री अनेक नगरों का प्रयत्न की दृष्टी से विकास किया था।
प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित होने के बाद वह काशी आये थे। यहां उन्होंने कहा था कि ना मैं आया हूँ,ना किसी ने मुझे भेजा है, मुझे मां गंगा ने बुलाया है। उनका यह कथन काशी की सांस्कृतिक विरासत के अनुरूप था। जिसमें यहां के विकास का भाव भी समाहित था। प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने इस दिशा में प्रयास किये। विकास को तीव्र गति योगी आदित्यनाथ सरकार ने दी। नरेंद्र मोदी अक्सर काशी आते रहे है। प्रत्येक बार यहां वह विकास संबन्धी अनेक योजनाओं की सौगात देते है।
इस बार उन्होंने काशी में पांच हजार करोड़ रुपए से अधिक लागत की अट्ठाइस परियोजनाओं का लोकार्पण किया। इससे स्थानीय लोगों के साथ ही काशी के रास्ते आवागमन करने वाले बिहार,मध्यप्रदेश व पश्चिम बंगाल प्रान्त सहित पूर्वांचल के कई जनपदों के लोगों के सुविधा मिलेगी। सुगम यातायात व्यवस्था हेतु रिंग रोड फेज टू पैकेज वन रखोना राजातालाब से वाजिदपुर हरहुआ तक की सड़क प्रमुख रूप से शामिल हैं। नरेंद्र मोदी ने चौसठ हजार करोड़ रुपए की प्रधानमंत्री स्वस्थ भारत योजना का शुभारंभ भी काशी से किया था। स्वतन्त्रता के बाद से ही इन स्थानों को विश्वस्तरीय बनाने की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए था।
लेकिन पिछली सरकारों में इन्हें लेकर एक संकोच था, जिसके चलते इन पर्यटन केंद्रों की उपेक्षा हुई। धार्मिक पर्यटन से तो लोगों की आस्था जुड़ी होती है। सरकार उचित व्यवस्था न करे,तब भी लोग वहां पहुँचते ही हैं। ऐसे अनेक देवी स्थल हैं, जहाँ नवरात्रि जैसे अवसरों पर लोग बस व ट्रेन से पहुंचते हैं। लेकिन व्यवस्था न होने के कारण उन्हें सड़क किनारे किसी बाग आदि में रात्रि विश्राम को विवश होना पड़ता है। ऐसे दृश्य किसी भी तीर्थ में देखे जा सकते हैं। जो लोग काशी और क्वेटो को लेकर मोदी सरकार पर कटाक्ष करते थे। सात दशक पहले आबादी कम थी।
उस समय से सुनियोजित और सन्तुलित विकास किया जाता तो आज इतनी समस्या न होती। लेकिन तब प्राथमिकता में ही ये स्थान नहीं थे। ऐसे में धार्मिक पर्यटन स्थल का विकास कैसे हो सकता था। वह अपने गांव व निर्वाचन क्षेत्र के लिए बहुत सजग रहते थे। लेकिन धार्मिक पर्यटन स्थलों के प्रति ऐसी उदारता नहीं दिखाई देती थी। केवल कुछ सड़के बना देते से पर्यटन के प्रति सरकारों की जिम्मेदारी पूरी नही होती। इसके लिए भावना का एक स्तर भी होना चाहिए। पहले इसका अभाव था। ऐसा नहीं कि क्वेटो प्राचीन काल से सुविधा संपन्न था। कुछ दशक पहले ही जापान की सरकार ने इस ओर ध्यान दिया। देखते ही देखते उसका सुनियोजित विकास हुआ।
विश्व की सबसे प्राचीन नगरी काशी है। अयोध्या में श्री राम, मथुरा में श्री कृष्ण ने अवतार लिया। सारनाथ और कुशीनगर गौतम बुद्ध से जुड़े तीर्थ हैं। बीस से अधिक देशों की आस्था यहां से जुड़ी है। ये देश यहां के विकास से अपने को जोड़ना चाहते हैं। लेकिन हम इसका भी अपेक्षित लाभ नहीं उठा सके। योगी आदित्यनाथ ने धार्मिक पर्यटन की कमियों की ओर गंभीरता से ध्यान दिया है। वह भावनात्मक रूप में भी इन स्थानों से जुड़े हैं। मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने अपनी भूमिका को विस्तार दिया है। अयोध्या में दीपावली मथुरा और गोरखपुर में होली के माध्यम से उन्होंने धार्मिक पर्यटन के लिए सन्देश देने का भी काम किया है। गढ़मुक्तेश्वर को विश्व स्तरीय आध्यत्मिक नगरी बनाने का निर्णय महत्वपूर्ण है।
नरेंद्र मोदी ने ठीक कहा कि पहले काशी को अपने हाल पर छोड़ दिया गया था। जितना काम वाराणसी में पिछले सात साल में हुआ है,उतना पिछले कई दशकों में नहीं हुआ। नो इंट्री खुलने का इंतजार बनारस वालों की आदत हो गई थी। अब कहीं भी आना जाना हो तो शहर वालों को परेशान होने की जरूरत नहीं। प्रयागराज, लखनऊ,बिहार तक कारोबार को गति मिलेगी। देश में एक समर्पित इंफ्रास्ट्रक्चर न हो तो विकास की गति सुस्त रहती है। अब एयरपोर्ट आने वालों को कालीन तथा विंध्याचल दर्शन करने की सुविधा होगी। रेलवे स्टेशन पर बने लाउन्ज से सुविधा होगी। गंगा की स्वच्छता के लिए काम किया जा रहा है। घरों का गंदा पानी रोकने के लिए रामनगर में सीवज ट्रीटमेंट प्लाण्ट काम कर रहा है। वरुणा के लिए भी काम हो रहा है। उपेक्षित वरुणा अस्तित्व खो रही थी।
आज साफ पानी वरुणा में जा रहा है। दोनों किनारे पाथ।वे रेलिंग बन रही है। काशी व पूर्वांचल के किसानों के लिए सुविधा विकसित हुई है। पैकेजिंग,प्रोसेसिंग और पेरिशेबल कार्गाे बना है। उससे किसानों को सुविधा मिलेगी। सीएनजी प्लाण्ट से किसानों को खाद भी मिलेगी। काशी में बीएचयू का दुनिया में श्रेष्ठ तकनीक से हेल्थ तक सुविधा तैयार हो रही है। युवा साथी पढ़ाई के लिए आ रहे हैं। आवासीय सुविधा तैयार हो रही है। काशी अध्यात्म के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था का भी एक अहम केन्द्र है।
विकास के सभी प्रोजेक्ट संकल्प को सिद्ध कर रहे हैं। मिट्टी के कारीगर और बुनकरों के लिए खादी व कुटीर उद्योग में साठ प्रतिशत और बिक्री में नब्बे प्रतिशत वृद्धि हुई है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि दीपावली हमें वोकल फॉर लोकल का ध्यान रखना है। यह दीयों तक सीमित नहीं है। वह उत्पादन जिसमें देशवासियों का पसीना है,जिस उत्पादन में देश की मिट्टी की सुगंध है,उसी को खरीदना चाहिए। देश की चीज़ें खरीदने से उसका उत्पादन भी बढ़ेगा। रोजगार भी बढ़ेगा। गरीब को काम भी मिलेगा। सबके प्रयास से बहुत बड़ा परिवर्तन आ सकता है।