प्रपंच की शुरुआत करते हुए ककुवा ने कहा- काल्हि पर्यावरण दिवस पय सगरी धरती हरियर द्यखाय रही रहय। अख़बार अउ टीवी मा खूब बड़ी-बड़ी बातयँ कीन गईं। जगह-जगह पौधरोपण भवा। पर्यावरण क्यार सालाना उर्स मनावा गवा। अब साल भर कंक्रीट केरा जंगल बढ़ावा जाई। हरियाली पय खूब आरा चली। पहाड़ ...
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चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से…कोराउना कय दुसरकी लहर केरे बीच मा काला, सफेद पीला फफूंदौ आय गवा
चतुरी चाचा ने प्रपंच की शुरुआत करते हुए कहा- बैशाख-जेठ महीने में सावन-भादों का मौसम है। पहले ‘ताउते’ और फिर ‘यास’ नामक समुद्री तूफान आया। इस वजह से वैशाख के अंत और जेठ की शुरुआत में आँधी-पानी आया है। लेकिन, घाघ कहते हैं कि ‘जो जेठे चले पुरवाई, तौ सावन ...
Read More »चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे सेचतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से…तुम सब जने नेतन की तना आपस मा न भिड़ा करव
आज चतुरी चाचा अपने प्रपंच चबूतरे पर कुछ सुकून से बैठे थे। बड़को काकी व नदियारा भौजी उनको गांव के हालचाल बता रही थीं। मेरे पहुंचते ही बड़को काकी अपनी बहुरिया के साथ खेतों की तरफ रवाना हो गईं। चतुरी चाचा बोले- अब कोरोना का संक्रमण दर थोड़ा कम हुआ ...
Read More »चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से…कोई कुछु कीन नाय चाहत, सब जने सरकार केरे भरोसे हैं
आज चतुरी चाचा अपने प्रपंच चबूतरे पर बड़े व्यथित मन से विराजे थे। चतुरी चाचा के साथ ककुवा, बड़के दद्दा, कासिम चचा व मुन्शीजी भी गमगीन मुद्रा में बैठे थे। मैं भी चुपचाप एक कुर्सी पर बैठ गया। प्रपंच चबूतरे पर काफी देर खमोशी छाई रही। अंततः चतुरी चाचा चुप्पी ...
Read More »चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे…केंद्र व राज्य सरकारों ने कोरोना को हल्के में लेने की भूल कर दी
आज चतुरी चाचा अपने चबूतरे पर बड़ी गम्भीर मुद्रा में बैठे थे। उनसे कुछ दूर पर कासिम चचा व मुन्शीजी बैठे थे। चबूतरे के पास पानी भरी बाल्टी, लोटिया व साबुन रखा था। चतुरी चाचा के सामने कुछ नए मॉस्क व सेनिटाइजर की शीशियां रखी थीं। मैं भी साबुन से ...
Read More »चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से…यह समय न लापरवाही का है और न ही एक दूसरे पर दोषारोपण का!
मैं आज जब प्रपंच चबूतरे पर पहुंचा, तब ककुवा, मुन्शीजी, बड़के दद्दा व कासिम चचा आदि चतुरी चाचा के आसन से दो गज की दूरी पर बैठे थे। सब कोरोना महामारी के विकराल रूप से डरे-सहमे हुए थे। मेरे पहुँचते ही चतुरी चाचा बोले- बहुत कठिन दौर आ गया है। ...
Read More »चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से…अब तौ गांवन मा खतरा मंडराय रहा
चतुरी चाचा आज अपने चबूतरे पर बड़ी गम्भीर मुद्रा में बैठे थे। चबूतरे के तीन तरफ दो-दो गज की दूरी पर कुर्सियां लगी थीं। एक कोने में बाल्टी में पानी, लोटा व साबुन रखा था। चबूतरे पर कुछ मॉस्क और सेनिटाइजर की एक बड़ी बोतल भी रखी थी। चबूतरे का ...
Read More »चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से…लागत हय कि ठंड मा कोरोना ठंडा रहत हय
चतुरी चाचा आज अपने प्रपंच चबूतरे पर बड़ी गम्भीर मुद्रा में बैठे थे। चबूतरे के आसपास पड़ी कुर्सियों पर मुन्शीजी, ककुवा, कासिम चचा व बड़के दद्दा विराजमान थे। मेरे पहुंचते ही चतुरी चाचा ने प्रपंच की शुरुआत करते हुए कहा- पिछले बरस की तरह इस साल भी कोरोना विकराल रूप ...
Read More »चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से…तब तलक कोरोउना पीछा गहे रही!
चतुरी चाचा आज अपने प्रपंच चबूतरे पर गम्भीर मुद्रा में बैठे थे। उनसे थोड़ी दूर पर मुन्शीजी, कासिम चचा, ककुवा व बड़के दद्दा विराजमान थे। मेरे पहुंचते ही चतुरी चाचा बोले- कोरोना होली को बदरंग करने आ गया है। सब लोग होली के हुड़दंग से दूर रहिए। गीले रंगों से ...
Read More »चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से…कोरोना का सबसे ज्यादा आतंक गैर भाजपा शासित राज्यों में ही क्यों?
चतुरी चाचा आज अपने प्रपंच चबूतरे पर चिंतित मुद्रा में बैठे थे। चबूतरे के पास पड़ी कुर्सियों पर कासिम चचा, मुन्शीजी, ककुवा व बड़के दद्दा विराजमान थे। नदियारा भौजी भी वहीं खड़ी थीं। सब लोग कोरोना के बढ़ते संक्रमण पर बातें कर रहे थे। मैं भी उसी प्रपंच में शामिल ...
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