रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
मन की बात में नरेंद्र मोदी एक अभिभावक के रूप में दिखाई देते है। इससे वह राजनीति को अलग रखते है। प्रधानमंत्री की भूमिका भी पीछे रह जाती है, वह बच्चों को सलाह देते है,असफलता से निराश ना होने की प्रेरणा देते है,चिड़ियों को पानी,दाना देने,घर के बुजुर्गों का ध्यान देने, बिजली बचाने,सफाई रखने आदि की बात करते है। इस बार भी उन्होंने बच्चों से घर के बुजुर्गों का इंटरव्यू लेने को कहा। इस अंदाज में पहले किसी भी नेता ने बच्चों से अपील नहीं की होगी। मोदी जानते है कि ऐसे इंटरव्यू से बच्चों को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।
इस समय कोरोना व चीन संकट दोनों चर्चा में है,दोनों को लेकर चिंता है,मोदी ने इसका भी उल्लेख किया। उनका विचार देश में निराशा फैलाने के लिए नहीं था। बल्कि उन्होंने लोगों का मनोबल बढ़ाया। इस समय मुख्य विपक्षी पार्टी के नेताओं के बयान देश में निराशा फैला रहे है। वह कह रहे है कि चीन ने हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया है,नरेंद्र मोदी ने आत्मसमर्पण कर दिया है। ऐसी बातें सेना का भी मनोबल गिराती है। इन नेताओं को पता नहीं कि प्रधानमंत्री के आत्मसमर्पण का मतलब देश के आत्मसमर्पण से होता है।
पीएम नरेंद्र मोदी ने अपरोक्ष रूप से ऐसे अनर्गल बयानों पर ध्यान ना देने का सन्देश दिया। उन्होंने जय जवान जय किसान का भाव प्रदर्शित किया। मोदी ने साफ कहा हमको दोस्ती निभाना और आंखों में आंख डालकर जवाब देना आता है। भारत दुश्मनों को जवाब देना जानता है।
दुनिया ने इस दौरान भारत की विश्वबंधुत्व की भावना को भी महसूस किया है। हमने अपने सीमाओं की सुरक्षा करने वालों को जवाब भी दिया। लद्दाख में जवानों की शहादत पूरा देश याद रखेगा। अपने वीर सपूतों के परिवारों के मन में जो जज्बा है,उन पर देश को गर्व है। हमारे जो वीर जवान शहीद हुए हैं, उनके शौर्य को पूरा देश नमन कर रहा है, श्रद्धांजलि दे रहा है। पूरा देश उनका कृतज्ञ है, उनके सामने नत-मस्तक है। इन साथियों के परिवारों की तरह ही, हर भारतीय,इन्हें खोने का दर्द भी अनुभव कर रहा है।आजादी के पहले हमारा देश डिफेंस सेक्टर में दुनिया के कई देशों से आगे था। उस समय कई देश जो हमसे कहीं पीछे थे वे आज आगे हैं। हमेंअपने पुराने अनुभवों को लाभ उठाना चाहिए था वह हम नहीं उठा सके। आज भारत प्रयास कर रहा है।
आत्मनिर्भरता की तरफ कदम बढ़ा रहा है। कोई भी विजन सबके सहयोग के बिना नहीं हो सकता। भारत ने संकट को सफलता की सीढ़ी बनाया है। इसी संकल्प से बढ़ेंगे तो यही साल कीर्तिमान स्थापित करेगा। बाधाओं को दूर करते हुए नए सृजन किए जा रहे है। भारत ने संकट को सफलता की सीढ़ी में परिवर्तित किया है। मोदी ने जय किसान की भी बात कही। कहा कि किसानों को हर तरह की मदद देने की कोशिश को जा रही है।
कृषि भी दशकों से लॉकडाउन में फंसी थीं, इसे भी अनलॉक कर दिया गया है। इससे किसानों को अपनी फसलें किसी को भी कहीं भी बेचने की आजादी मिली है। इसके साथ ही उन्हें अधिक ऋण मिलना भी सुनिश्चित हुआ है। उन्होंने सुंदर उपमा दी,कहा जैसे कपूर आग में तपने पर भी अपनी सुगंध नहीं छोड़ता, ऐसे ही आपदा में अच्छे लोग अपने गुण नहीं छोड़ते। हमारे श्रमिक साथी भी इसका उदाहरण है। उन्होंने जल संरक्षण का भी सुझाव दिया। प्रकृति रीफिलिंग करती है। इसमें हमारा थोड़ा प्रयास काफी मददगार होगा।