योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद सर्वाधिक ध्यान सुशासन की स्थापना पर दिया। उनका कहना था कि इसके अभाव में प्रदेश का विकास संभव नहीं है। पिछली सरकारों ने इस तथ्य की उपेक्षा की थी। इस कारण शासन के स्तर पर अनेक प्रकार की विसंगति पैदा हुई थी।
प्रदेश का विकास बाधित हुआ। उत्तर प्रदेश से निवेशक दूर हो चुके थे। योगी आदित्यनाथ ने पारदर्शी शासन व्यवस्था की स्थापना की। उनका कहना है कि अब यूपी निवेशकों की पहली पसंद बन गया है। राज्य सरकार ने निजी क्षेत्र में रोजगार की सम्भावनाओं को आगे बढ़ाया। प्रदेश में निवेश में वृद्धि करने के लिए सिंगल विण्डो सिस्टम तथा सिटीजन चार्टर की लागू की गई। इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया गया।
प्रदेश में चार लाख अड़सठ हजार करोड़ रुपये के निवेश के प्रस्ताव प्राप्त हुए। यह निवेश प्रस्ताव समयबद्ध ढंग से लागू किये गये, जिसके माध्यम से एक करोड़ इकसठ लाख युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त हुए। केन्द्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं से साठ लाख से अधिक युवाओं को स्वरोजगार प्राप्त हुआ है।
एक जनपद,एक उत्पाद योजना तथा विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के माध्यम से भी बड़ी संख्या में रोजगार की सम्भावनाएं आगे बढ़ीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व प्रदेश में सरकारी नौकरियों की प्रक्रिया कलंकित हो चुकी थी। भाई भतीजावाद, जातिवाद,भ्रष्टाचार के कारण न्यायालय को जांच के आदेश देने पड़े थे।
यह प्रदेश के युवाओं के साथ खिलवाड़ था। आज एक भी चयन प्रक्रिया न्यायालय में लम्बित नहीं है। पूरी पारदर्शिता, ईमानदारी व निष्पक्षता के साथ सम्पूर्ण कार्यवाही को आगे बढ़ाया गया। सभी बोर्डों और आयोगों से आग्रह किया गया कि पूरी ईमानदारी के साथ प्रक्रिया को आगे बढ़ाएं।
उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में जिस प्रकार से निष्पक्ष एवं पारदर्शी ढंग से नौकरियां युवाओं को प्रदान की गई हैं। यह भविष्य में शोध का विषय बनेगा।
वर्तमान सरकार द्वारा की गयी नियुक्तियों में किसी भी प्रकार की अनियमितता की शिकायत नहीं मिली है। भाई भतीजावाद, जातिवाद, सम्प्रदायवाद से मुक्त किये जाने का सपना प्रदेश सरकार साकार कर रही है।