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यूपी ने 624.33 लाख मी.टन खाद्यान्न उत्पादन कर फिर बनाया एक नया रिकॉर्ड

लखनऊ। कोरोना संक्रमण के प्रकोप के बीच सूबे में गेहूं खरीद की रफ्तार लगातार बढ़ रही है। अब तक खाद्यान्न उत्पादन 624.33 लाख मी.टन हो चुका है जो यूपी के लिये फिर एक एक नया रिकॉर्ड बन गया है। सरकार 6.70 लाख कृषकों से 33.73 लाख मी. टन गेहूं खरीद कर चुकी है, जो गतवर्ष से बहुत अधिक है। आधार आधारित खरीद और पीएफएमएस के माध्यम से 13.05 लाख किसानों को लाभ पहुंचाया गया है। वर्षा की चेतावनी को देखते हुए सरकार के निर्देश पर सभी क्रय केन्द्रों पर रखे गेहूं को विधिवत सुरक्षित करके रखा गया है। जिससे वर्षा के दौरान गेहूं खराब न हो सके।

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने गेहूं खरीद में क्रांति लाते हुए पहली बार मंडियों में न केवल अत्याधुनिक सुविधाओं को बढ़ाया बल्कि किसानों के लिये मंडियों में पानी, बैठने के लिये छायादार व्यवस्था और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने के सख्त निर्देश भी दिये। कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) को गेहूं खरीद में शामिल कर प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया। किसानों को उनके खेत के 10 किमी के दायरे में गेहूं खरीदकर उनकी दिक्कतों को भी कम करने का काम किया। गौरतलब हैं कि किसानों को भुगतान के मामले में योगी सरकार ने पिछली सरकारों को बहुत पीछे छोड़ दिया है। धान खरीद के मामले में भी योगी सरकार रोज नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। सरकार की नई-नई योजनाओं ने किसानों को मजबूत बनाने का काम किया है। योगी सरकार ने चार साल में प्रदेश के किसानों को अब तक सबसे अधिक भुगतान करके रिकार्ड बनाया है।

यूपी में गन्ना किसानों को 1,35,295.57 करोड़ रूपए का रिकॉर्ड भुगतान किया

योगी सरकार ने अपने कार्य काल में अब तक गन्ना किसानों को 1,35,295.57 करोड़ रूपए का रिकॉर्ड भुगतान किया है। पेराई सत्र 2019-20 में रूपये 35,898.85 करोड़, 2018-19 में रुपये 33,048.06 करोड़, 2017-18 के रुपये 35,440.91 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है। यूपी सरकार पूर्व की सरकार के कार्यकाल एवं पूर्व पेराई सत्रों का रुपये 10,661.09 करोड़ बकाया भी गन्ना किसानों को भुगतान कर चुकी है ।

डीएपी और यूरिया की पर्याप्त उपलब्धता, कालाबाजारी और जमाखोरी पर लगाई लगाम

राज्य में योगी सरकार किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए प्रति बोरी अनुदान 500 रुपये से बढ़ा कर 1200 रुपये कर दिया है। किसानों को अब रुपये 1200 प्रति बोरी की कीमत पर डीएपी की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जा रही है। डीएपी की पर्याप्त उपलब्धता प्रदेश में है जिसे कृषक निर्धारित दरों पर क्रय कर रहे हैं। जबकि वर्ष 2014 में डीएपी की कीमत रुपये 1130 प्रति बोरी थी। इसके साथ ही यूरिया की भी पर्याप्त उपलब्धता भी प्रदेश में बनी है। राज्य सरकार का कृतसंकल्प है कि यूरिया सहित अन्य उर्वरक निर्धारित दरों पर किसानों को समय से सुलभ कराया जाये। सरकार की ओर से लगातार कालाबाजारी एवं जमाखोरी पर भी सख्त कार्यवाही की जा रही है।

पहली बार गेहूं खरीद में पारदर्शिता के लिये हुआ ई-पॉप मशीनों का उपयोग

उत्तर प्रदेश सरकार ने गेंहू खरीद में पारदर्शिता लाने के लिए ई-पॉप मशीनों का इस्तेमाल कर क्रांति लाने का काम किया। इस व्यवस्था से गेहूं खरीद में धांधली और गड़बड़ी की आशंका पूरी तरह से समाप्त हो गई। किसानों को उनके अनाज के हर दाने का भुगतान उनके खातों में मिलना शुरू हो गया। मंडियो में कोविड प्रोटोकाल पालन कराया जा रहा है। खरीद केंद्रों पर ऑक्सीमीटर, इफ्रारेड थर्मामीटर की व्यवस्था की गई है। किसानों को पीने का स्वच्छ पानी, बैठने के लिये छायादार व्यवस्था पहली बार यूपी में की गई है।

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