- Published by- @MrAnshulGaurav, Written by- Dr. Dilip Agnihotri
- Sunday, 06 Febraury, 2022
नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद से राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल इसके प्रभावी क्रियान्वयन के प्रति गंभीर रही है। इसके अंतर्गत उन्होंने अनेक स्तर पर प्रयास किये। शिक्षाविदों व कुलपतियों के साथ उन्होंने संवाद किया। कुलाधिपति के रूप में दिशा निर्देश दिए। आनन्दी बेन ने कहा था कि नई शिक्षा नीति भारतीय परिवेश व संस्कृति के अनुरूप है। इसका सफल क्रियान्वयन भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा। एक बार फिर राज्यपाल ने नई शिक्षा नीति की उपयोगिता को रेखांकित किया। इसमें मातृभाषा के साथ ही तकनीक को भी महत्व दिया गया। इससे शिक्षण कार्य सुगम व सहज हुआ है।
कोरोना कालखंड के दौरान शिक्षा की निरंतरता बनाये रखने में तकनीक का सफलता से साथ प्रयोग किया गया। इसके अलावा आनन्दी बेन शिक्षण संस्थाओं को सामाजिक कार्यों व सरोकारों से जुड़ने का सन्देश देती हैं। इससे विद्यार्थियों को समाज व राष्ट्र के प्रति सेवा भाव की प्रेरणा मिलती है। इसके साथ ही शिक्षण संस्थाओं का दायरा भी व्यापक होता है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेजों की ओर से आंगनवाड़ी केन्द्रों को सहायता प्रदान की गई। इसमें बच्चों के लिए खेल सामग्री, शुद्ध पानी, बाल शिक्षण साहित्य तथा केन्द्र की अन्य सुविधाएं शामिल है। इससे आंगनबाड़ी केंद्रों को लाभान्वित किया गया। आनन्दी बेन ने दीक्षांत समारोहों में छोटे क्लास के बच्चों को आमंत्रित करने का अभिनव प्रयोग शुरू किया गया था। अब यह परम्परा के रूप में आगे बढ़ रहा है। उनका कहना है कि इससे बच्चों को उच्च शिक्षा के संबन्ध में प्रेरणा मिलती है। राज्यपाल इन बच्चों को पढ़ाई संबन्धी सामग्री भी प्रदान करती है। आनंदीबेन पटेल लखनऊ ने श्री जय नारायण मिश्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय केकेसी लखनऊ के संस्थापक दिवस समारोह को संबोधित किया।
उच्च शिक्षण संस्थाओं में हो रहे नवीन समाज उपयोगी शोध कार्यों की व्यापक मार्केटिंग द्वारा उन्हे सामाजिक उपयोगिता में उपलब्ध कराने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रत्येक राष्ट्र के लिए विकास और सशक्तिकरण का आधार है। स्वतंत्रता के बाद हमने सबके लिए शिक्षा प्राप्ति पर ध्यान दिया। लेकिन सबके लिए समान गुणवत्ता वाली शिक्षा का लक्ष्य पूरा नहीं हुआ। निजी और सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता के बढ़ते अंतर को मिटाना आवश्यक है। सरकारी स्कूलों को भी साधन सम्पन्न बनाकर उनकी शिक्षा गुणवत्ता में सुधार संभव है। शोध में किसानों ग्रामीण महिलाओं और समाज को लाभान्वित करने वाले विषय शामिल करने चाहिए। शिक्षण संस्थानों द्वारा क्षय रोग ग्रस्त बच्चों को गोद लेकर स्वास्थ्य लाभ होने तक उनके पोषण और चिकित्सा में सहयोग करना सराहनीय है।
(यह लेखक के अपने विचार हैं)