बहरहाल, बात की किराए के मकान योजना की कि जाए तो किराए पर दिये जाने वाले मकानों का किराया लोेेकेशन यानी क्षेत्र और मकान की हालत के आधार पर तय किया जाएगा। हर दो साल में आठ फीसदी की दर से किराया बढ़ाया जाएगा। पहले 25 साल के लिए मकान किराए पर देने का अनुबंध किया जाएगा। योगी आदित्यनाथ सरकार ने गत दिनों ही किफायती रेंटल आवास एवं काम्लेक्स योजना को मंजूरी दे दी है। इस योजना को दो माॅडल में लागू किया जाएगा। पहले माॅडल के अनुसार अफोर्डेबल हाउसिंग योजना के तहत विभिन्न योजना के तहत आवंटित मकानों को किराए पर दिया जाएगा। दूसरे माॅडल में बिल्डरों से आवास बनवाकर किराए पर दिया जाएगा।
बिल्डर अपनी जमीन पर किफायती रेंटल आवास के तहत आवास बनाकर यदि किराए पर देते हैं तो उन्हें सरकार फ्लोर एरिया रेश्यो (एफएआर) और जीएसटी समेत कई अन्य तरह की छूट प्रदान करेगी। इसके लिए अलग से दिशा-निर्देश सरकार जारी करेगी। परियोजनाओं को विकसित करने के लिए प्रस्ताव स्थानीय निकाय द्वारा आवास बंधु को उपलब्ध कराया जाएगा। आवास बंधु तकनीक परीक्षण करने के बाद प्रस्ताव केंद्र व राज्य सरकार की स्वीकृति के लिए नोडल विभाग सूडा के पास भेजेगा।
दरअसल, योगी सरकार कोरोना काल में वापस लौटे प्रवासी मजदूरी को अब प्रदेश में काम करने के दौरान शहरी इलाकों में सस्ते आवास मुहैया कराने जा रही है। इसके लिए इस योजना को मंजूरी दी गई है।राजधानी की चक गंजरिया सिटी में बनाये जा रहे डाॅ. राम मनोहर लोहिया राज्य प्रशासन एवं प्रबंधन अकादमी के नए परिसर के निर्माण की पुनरीक्षित लागत को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। गौरतलब है चक गंजरिया सिटी में यह परिसर 22.5 एकड़ जमीन पर विकसित किया जा रहा है। निर्धारित किराए में प्रत्येक दो साल में अधिकतम आठ फीसदी की वृद्धि की जाएगी।
हर साल चार फीसदी और पांच साल अधिकतम 20 फीसदी से अधिक नहीं बढ़ेगा। इस योजना का फायदा प्रवासी एवं गरीबा मजदूर, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, निम्न आय वर्ग फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर, शिक्षण संस्थाओं, सत्कार कार्यों से जुड़े लोग, पर्यटक एवं छात्र उठा सकेंगे। एससी, एसटी एवं पिछड़ा वर्ग, विधवाओं और कामकाजी महिलाओं, दिव्यांगों व अल्पसंख्यकों से संबंधित व्यक्तियों को वरीयता दी जाएगी।
इसमें सरकार ने गरीब विधवाओं को भी शामिल कर लिया है, यानी उन्हें भी सरकार सस्ते किराए पर मकान मुहैया कराएगी। अगर योगी सरकार की यह योजना सफल हो जाती है तो इससे उन तमाम लोगों को मोटा किराया देने से मुक्ति मिल जाएगी जिसको वहन करना उनके लिए काफी मुश्किल रहता है। गौरतलब हो उक्त तरह के किराए के आवासों वाली स्कीम की जरूरत लाॅक डाउन के समय महसूस की गई थी।
लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की सबसे बड़ी समस्या यही आई थी कि उनका रोजगार चला गया था और घर किराया भी ज्यादा था। ऐसे में केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गरीब मजदूरों के लिए एक अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग स्कीम का ऐलान किया था। यह स्कीम प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत लाई गई है। इसी स्कीम के तहत सरकार पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर प्रवासी मजदूरों और शहरी गरीबों के किराए पर रहने के लिए घर बनवा रही है। यहां उनसे काफी कम किराया वसूला जाएगा और साथ में तमाम मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स, इंडस्ट्रीज और इंस्टिट्यूशन्स को ऐसे अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग कॉम्प्लेक्स बनाने के लिए इन्सेंटिव देगी। वे इसे अपने निजी जमीन पर भी बना सकते है।