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बढ़ी चीन की चिंता: शून्य के करीब पहुंची देश की आबादी में बढ़ोतरी की दर

चीन में जनसंख्या बढ़त शून्य के करीब पहुंच गई है. इस बात की जानकारी मंगलवार को जारी हुए सरकारी डेटा से मिली है. इस दौरान सरकार ने सबसे ज्यादा जोर बुजुर्ग होती आबादी को दिया है. सरकार ने बताया कि देश की आबादी में बढ़ोतरी की दर शून्य के करीब पहुंच गई है, क्योंकि यहां बच्चों को जन्म देने वाले दंपती की संख्या कम है.

चीन में कार्यबल कम हो रहा है क्योंकि देश की आबादी में बुजुर्ग लोगों की संख्या काफी अधिक है. राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो ने बताया कि 2020 में समाप्त हुए दशक में देश की जनसंख्या सात करोड़ 20 लाख बढ़कर 1.411 अरब हो गई और आबादी में वार्षिक वृद्धि की औसत दर 0.53 प्रतिशत है, जो कि इससे पहले के दशक से कम हुई है.

चीन के नेताओं ने जनसंख्या को बढ़ने से रोकने के लिए 1980 से जन्म संबंधी सीमाएं लागू की थीं, लेकिन अब उन्हें इस बात की चिंता है कि देश में कामकाजी आयु वर्ग के लोगों की संख्या तेजी से कम हो रही है और इसके कारण समृद्ध अर्थव्यवस्था बनाने के प्रयास बाधित हो रहे हैं. चीन में जन्म संबंधी सीमाओं में ढील दे दी गई है, लेकिन दंपती महंगाई, छोटे आवास और मांओं के साथ नौकरी में होने वाले भेदभाव के कारण बच्चों को जन्म देने से कतराते है

साल 2011 में 925 मिलियन के शीर्ष पर पहुंचने वाली चीन की 15 से 59 वर्ष की कार्यशील आबादी तेजी से घट रही है. इससे मजदूरी तो बढ़ रही है, क्योंकि कंपनियां कर्मचारियों के लिए प्रतिस्पर्धा कर रही हैं, लेकिन इससे नए उद्योग स्थापित करने और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था विकास तैयार करने में बाधा आ सकती है. गुरुवार को जारी हुए डेटा में गत वर्ष के जन्म की जानकारी नहीं दी गई है. लेकिन डेटा बताता है कि 2016 से सालाना आंकड़े गिर रहे हैं.

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