लखनऊ। उत्तर प्रदेश की सियासत में बड़ा उलटफेर करते हुए प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) वाड्रा की औपचारिक रूप से कांग्रेस में एंट्री करा दी गई। उनको पार्टी ने पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभार देते हुए उन्हें महासचिव बनाया है। कांग्रेस द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि वह फरवरी के पहले हफ्ते में कामकाज शुरू करेंगी।
ज्योतिरादित्य पश्चिमी उत्तर प्रदेश के महासचिव
यह अपने आप में बड़ी बात है कि प्रियंका गांधी को कांग्रेस में पहली बार आधिकारिक रूप से कोई जिम्मेदारी सौंपी गई है। अभी तक वह गांधी परिवार का गढ़ मानी जाने वाली रायबरेली और अमेठी सीटों पर ही कांग्रेस का प्रचार करती देखी जाती थीं। वहीं कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को पश्चिमी उत्तर प्रदेश का महासचिव बनाया है। इस तरह कांग्रेस ने पहली बार एक राज्य में दो महासचिव बनाए हैं।
प्रियंका गांधी के उतरने के सियासी निहितार्थ
इससे पहले गुलाम नबी आजाद यूपी कांग्रेस के महासचिव थे। उन्हें हरियाणा का प्रभारी नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही के.सी. वेणुगोपाल को कांग्रेस जनरल सेक्रेट्री (संगठन) बनाया गया है। वो इसके साथ कर्नाटक के जनरल सेक्रेट्री भी बने रहेंगे। पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी के उतरने के गहरे सियासी निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। कांग्रेस ने आगामी लोकसभा चुनावों में सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
नाकाम होने के कारण प्रियंका गांधी को उतारा : संबित पात्रा
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी नेता संबित पात्रा ने कहा कि राहुल गांधी के नाकाम होने के कारण प्रियंका गांधी को कांग्रेस पार्टी में उतारा गया है। केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा ने कहा कि प्रियंका का महासचिव बनना कांग्रेस का निजी मामला है,लेकिन इसके साथ ही कहा कि कांग्रेस हमेशा से परिवारवाद की राजनीति करती है।
2017 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को सात प्रतिशत
2009 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को यूपी में 21 लोकसभा सीटें मिली थीं। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को तकरीबन सात प्रतिशत वोट मिले थे। लिहाजा प्रियंका को मैदान में उतारने के कदम को पार्टी संगठन को मजबूत करने के क्रम में देखा जा रहा है।