नई दिल्ली : कार्यक्रम के दौरान उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि डॉ. अनुराग बत्रा द्वारा आयोजित हिंदी पत्रकारिता जगता का यह बहुत ही प्रतिष्ठित कार्यक्रम है, भले ही इस कार्यक्रम ने तीन वर्ष पूरे किए हों। लेकिन इस कार्यक्रम का इंतजार हमारे साथी बड़े ही तन्मयता के साथ करते हैं। सामन्यत: प्रतिदिन आठ-दस कार्यक्रमों में जाना का अवसर प्राप्त होता है, लेकिन ऐसे कार्यक्रम में जाने का शायद ही कभी अवसर मिला हो और यह दूसरी बार मिला है, क्योंकि जो दूसरों की खबरें करते हों और उनके बीच कुछ कहने का सौभाग्य मिले इससे अच्छा क्या होगा। नए पत्रकार साथियों से कहना चाहूंगा कि बहुत ही चुनौती भरा प्रोफेशन है ये। आईएएस के विद्यार्थी से ये उम्मीद की जाती है कि उन्हें इंटरव्यू में सभी तरह की जानकारी होगी। ऐसे ही आपसे भी उम्मीद की जाती है कि आपको भी सबकुछ याद होगा। कोई फील्ड ऐसी नहीं है, जो आपको पता न हो। सबकुछ आपको पता होना चाहिए। क्योंकि आपने ऐसी विधा में कदम रखा हैं, जहां सम्मान तो बहुत है, लेकिन मेहनत भी बहुत है। प्रतिक्षण आपको अलर्ट रहना है।
इस दौरान एक्सचेंज4मीडिया समूह के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ डॉ. अनुराग बत्रा ने कहा, ‘मैं मानता हूं पत्रकारिता और सिविल सोसायटी में हर तरह के विचारों को रखना चाहिए, लेकिन कुछ ऐसे भी विषय होते हैं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा व देश की संप्रभुता से जुड़े होते हैं, यानी जो देश के मुद्दे होते हैं, उस पर हम सभी को एकमत होना पड़ेगा। वैसे हम सब संपादकीय दृष्टिकोण की बहुलता और उसकी उपयोगिता के बारे में जानते हैं, लेकिन मुझे लगता कि कुछ मुद्दों को लेकर हमें एक आवाज बनना होगा। हमारी रुचि राष्ट्र हित में होनी चाहिए।‘
वहीं, ‘समाचार4मीडिया पत्रकारिता 40 अंडर 40’ कार्यक्रम से जुड़े तीन नियमों की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि इस साल हमनें दो नए नियम बनाए थे और अगले साल से लागू कर रहे हैं, जिसमें से पहले दो नियम थे कि जो इस कार्यक्रम के विजेता रह चुके हैं, वह इस कार्यक्रम में दोबारा से रजिस्ट्रेशन नहीं कर सकते हैं, क्योंकि ज्यादा से ज्यादा नए प्रतिभागियों को इस कार्यक्रम से जुड़ने का मौका मिल सके। वहीं दूसरा नियम ये बनाया कि हम एंट्री फीस नहीं लेगें और वह इसलिए क्योंकि बड़े संस्थान तो ज्यादा एंट्रीज भेज सकते हैं, लेकिन कई मझोले और छोटे संस्थान इस कार्यक्रम का हिस्सा नहीं बन पाते थे। इसलिए हमने एंट्री फीस को समाप्त कर दिया है और इसका असर भी देखने को मिला, क्योंकि पिछले साल के विजेता दस संस्थानों ने प्रतिनिधित्व करते थे और लेकिन इस बार के विजेता सत्रह संस्थानों का प्रतिनिधित्व करते हैं।