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जी-7 में मोदी के विचारों पर सहमति

 डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

जी-7 संगठन में दुनिया के विकसित देश शामिल है। भारत,चीन और रूस बड़ी अर्थव्यवस्था के देश है। किंतु ये देश जी 7 सदस्यता हेतु निर्धारित बिंदुओं को पूरा नहीं करते। इसके बाबजूद इसके शिखर सम्मेलन में चीन व रूस को दरकिनार कर भारत को विशेष रूप में आमंत्रित किया गया। ब्रिटेन की अध्यक्षता में यह सम्मेलन होना था। नरेंद्र मोदी को आमंत्रण देने के लिए ब्रिटिश प्रधानमंत्री की भारत यात्रा प्रस्तावित थी।

लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के कारण यह यात्रा स्थगित की गई थी। उन्होंने वर्चुअल माध्यम से नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किया। इतना ही नहीं इस वर्चुअल बैठक में दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने वाले अनेक समझौते भी हुए थे। यहां कहने का मतलब यह कि जी 7 भारत को अपना स्वभाविक सहयोगी मानता है। जबकि चीन व रूस उनकी इस सूची के बाहर है। इसका बड़ा कारण यह है कि भारत ने विश्व शांति सहयोग व सौहार्द के लिए प्रतिबद्ध रहा है। कोरोना की पहली लहर में भारत ने विकसित देशों की सहायता की थी।

आतंकवाद को वैश्विक खतरा मानते हुए भारत ने सदैव इसका विरोध किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में आतंकवाद के विरुद्ध साझा रणनीति बनाने का प्रस्ताव किया था। जी 7 देश भी इस प्रस्ताव की उपयोगिता समझते है। इसके अलावा जलवायु व पर्यावरण के संबन्ध में भी भारत विश्व कल्याण के अनुरूप प्रस्ताव करता रहा है। सम्मेलन में कोरोना वायरस,फ्री ट्रेड और पर्यावरण पर विस्तार से चर्चा हुई। ज्यादा फोकस इसी बात पर रहा कि कैसे दुनिया को कोरोना महामारी से मुक्त करना है।

यह समिट ब्रिटेन के कॉर्नवाल में हो रही है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने नरेंद्र मोदी को विशेष रूप में आमंत्रित किया था। भारत G7 का सदस्य नहीं है। भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और दक्षिण अफ्रीका को भी इसमें आमंत्रित किया गया। नरेंद्र मोदी ने कोविड संबंधी प्रौद्योगिकियों पर पेटेंट छूट के संबंध में भारत, दक्षिण अफ्रीका द्वारा डब्ल्यूटीओ में दिए गए प्रस्ताव के लिए जी-7 के समर्थन का भी आह्वान किया। जी-7 में ब्रिटेन, कनाडा,फ्रांस,जर्मनी, इटली,जापान और अमेरिका शामिल हैं। मुक्त समाज एवं मुक्त अर्थव्यवस्था सत्र में नरेंद्र मोदी एक प्रमुख वक्ता के तौर पर शामिल हुए।

इसमें उन्होंने लोकतांत्रिक व्यवस्था, विचारों की उदारता व स्वतंत्रता के प्रति भारत की पारंपरिक प्रतिबद्धता के बारे में बताया और कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के नाते भारत सत्तावादी व्यवस्था,आतंकवाद व हिंसक अतिवाद, गलत सूचना के प्रसार और आर्थि‍क दबाव की रणनीति से लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने के लिए जी-7 और मेहमान देशों का प्राकृतिक तौर पर मित्र राष्ट्र है।

कोरोना संकट पर चर्चा के दौरान चीन भी निशाने पर रहा। बैठक में कोरोना महामारी के खिलाफ एक वैश्विक रणनीति पर सहमति बनी। इसके साथ ही हिंद प्रशांत क्षेत्र की स्थिति पर भी विचार विमर्श किया गया। सामूहिक तौर पर हिंद प्रशांत क्षेत्र को दुनिया के सभी देशों के लिए एक समान अवसर वाला बनाने पर जोर दिया गया है। साथ ही इन देशों ने यह कहा है कि इस उद्देश्य के लिए इस क्षेत्र के दूसरे देशों के साथ साझेदारी व सहयोग किया जाएगा।

जी 7 शिखर सम्मेलन में ग्यारह देश शामिल हुए। इनमें चार देश भारत अमेरिका,आस्ट्रेलिया व जापान क्वाड गठबंधन में शामिल है। इनके बीच भी इस दौरान विचार विमर्श किया गया। इसमें कुछ दूसरे बड़े लोकतांत्रिक देशों को शामिल करने को लेकर पहले से ही संबंधित देशों में बात चल रही है। नरेंद्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन पर आयोजित सत्र में भारत सरकार की तरफ से इस संदर्भ में उठाए जाने वाले कदमों के बारे में बताया।

उन्होंने कहा कि जी-20 देशों में सिर्फ भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जो निर्धारित लक्ष्यों को समय से पहले पूरा कर रहा है। पीएम ने जी-7 देशों को उनके उस वादे की भी याद दिलाई जिसमें हर वर्ष सौ अरब डालर की राशि का सहयोग जलवायु संरक्षण के लिए देने की बात थी। मानवता के समक्ष पैदा हुई इस चुनौती का सामना करने में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण माना गया। नरेंद्र मोदी ने समापन सत्र को भी संबोधित किया। कहा कि तानाशाही,आतंकवाद, हिंसक उग्रवाद,झूठी सूचनाओं और आर्थिक जोर जबरदस्ती से उत्पन्न विभिन्न खतरों से साझा मूल्यों की रक्षा करने में भारत जी-7 का एक स्वाभाविक साझेदार है।उन्होंने आधार, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण डीबीटी और जेएएम जन धन आधार मोबाइल।तीनों के माध्यम से भारत में सामाजिक समावेश और सशक्तीकरण पर डिजिटल प्रौद्योगिकियों के प्रभाव का उल्लेख किया।

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