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ब्रिटेन के किंग के रूप में चार्ल्स तृतीय ने संभाला कार्यभार, 70 साल बाद देश में लौटी किंगशिप

क्वीन एलिजाबेथ के लंबे शासन के बाद जब उनका निधन हुआ तो 73 साल की उम्र में प्रिंस चार्ल्स की ताजपोशी किंग यानि राजा के तौर पर हुई.उनकी आधिकारिक रूप से ताजपोशी 2023 में हो सकती है. ब्रिटेन की किंगशिप के अलावा उनके पास दर्जनभर से अधिक देशों के राष्ट्राध्यक्ष की जिम्मेदारी भी है.

इसके साथ ही चार्ल्स ऐसे उत्तराधिकारी भी रहे, जिन्हें ब्रिटेन की गद्दी तक पहुंचने में सबसे ज्यादा समय लगा.ब्रिटेन के किंग के रूप में चार्ल्स तृतीय को अब राजनीतिक रूप से तटस्थ रहने की जरूरत है.  क्वीन एलिजाबेथ के ही जीवन के दौरान ब्रिटिश राजशाही को अपना सुप्रीम मानने वाले तमाम देशों में राजशाही से अलग होने की आवाज उठने लगी है.

कुछ देशों में इसे लेकर रायशुमारी हुई तो कुछ देशों ने गणराज्य बनने की ओर कदम बढ़ा लिये हैं.ब्रिटेन की गद्दी पर बैठने वाला शख्स देश के मामलों में अधिक मुखर होकर टिप्पणी नहीं कर सकता. यह ब्रिटेन की राजशाही के ही नियम है कि देश के शासक का झुकाव किसी भी राजनीतिक पार्टी की ओर नहीं होना चाहिए.

इसके अलावा स्टेट ओपनिंग या संसदीय वर्ष की शुरुआत के समय किंग का संबोधन होता है. संसद के जरिए कानून पारित होने पर उस पर औपचारिक मुहर लगाने का काम भी किंग या क्वीन का होता है.कनाडा में चार्ल्स के किंग बनने की खबर लोगों के लिए बहुत खुशी की नहीं थी. वहां भी लोगों ने ब्रिटिश राजशाही का विरोध करना शुरू कर दिया. एक

 

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