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चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से…गाय भारतीय संस्कृति-सभ्यता की ध्वजवाहक है

नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान

ककुवा ने दक्षिण भारत में कोरोना महामारी और उत्तर प्रदेश में विचित्र बुखार से हो रही मौतों पर चिंता प्रकट करते हुए कहा- पता नाइ कब देस अउ परदेस मा अच्छे दिन अइहैं। दुई साल ते कोरउना महाब्याधि तांडव कय रही हय। दक्षिण भारत मा दुसरकी लहर केर परकोप चलि रहा। सैकडों लोग बेमौत मरि रहे हयँ। देस मा तिसरकी लहर कय आशंका छाई हय। यहिके बीच अपनी यूपी मा विचित्र बुखार आय गवा हय। मथुरा ते लैके मैनपुरी तलक रोज मौतें होय रहीं। जनता महंगाई, बेरोजगारी अउ दैवीय आपदाएं अलग ते झेलि रही हय। हम अपनी जिंदगी मा पहली दफा यतने बुरे दिन देखि रहेन।

चतुरी चाचा अपने चबूतरे पर बैठे हुक्का गुड़गुड़ा रहे थे। ककुवा, कासिम चचा, मुंशीजी व बड़के दद्दा उनको घेरे बैठे थे। सब चबूतरे का नया रंग रूप देखकर गदगद थे। क्योंकि, प्रधानजी ने अपने वादे के मुताबिक चबूतरे का सौंदर्यीकरण करवा दिया था। आज मौसम बड़ा उमस भरा था। आसमान में सूरज के साथ बादल लुकाछिपी खेल रहे थे। मेरे पहुंचते ही चतुरी चाचा बोले- रिपोर्टर, इधर तुम लगातार देर से आते हो। जबकि चबूतरे के बगल ही तुम्हारा घर है। हमने कहा- क्या करें चाचा। सुबह कोई न कोई घर आ ही जाता है। मुझे उसका सुख-दुःख सुनना पड़ता है। तभी ककुवा ने देश और प्रदेश की मौजूदा स्थिति पर बोलना शुरू कर दिया। ककुवा का मानना था कि उनके 70 वर्ष के जीवन में यह सबसे बुरे दिन चल रहे हैं। कोरोना महामारी के चलते जनता त्राहिमाम कर रही है।

चतुरी चाचा

ककुवा की बात को आगे बढ़ाते हुए चतुरी चाचा ने कहा- कोरोना महाब्याधि ते पूरी दुनिया परेशान हय। भारत कौनव इकलौता देस नाइ हय, जहां बेरोजगारी अउ महंगाई आई हय। कोरोना अपने साथ बेरोजगारी, महंगाई लैके आवा हय। आज काल्हि केरल, महाराष्ट्र, आंध्रा आदि दक्षिणी राज्यन मा कोरोना क कोहराम हय। अयसी यूपी म रहस्यमयी बुखार तांडव मचाये हय। मथुरा, आगरा, फर्रूखाबाद, फिरोजाबाद व मैनपुरी आदि जिलन मा विचित्र बुखार ते मौतें होय रहीं। फिरोजाबाद मा हालत सबसे जादा खराब हय। तमाम बच्चन का बुखार लील लिहिस। यहितना पूर्वांचल मा हर साल मस्तिष्क ज्वर ते मौतें होती रहयं। कोरोना कय तीसरी लहर का लैके संशय बना हय। उत्तर भारत मा स्कूल, कॉलेज, संस्थान, बाजार, कार्यालय सब खुलि गये। अब लोग कोरोना नियमन ताक पय रखि दिहिन। ज्यादातर मनई बिना मॉस्क कय घुमि रहे। शारीरिक दूरी क कोऊ पालन नाय कय रहा। इ सब तीसरी लहर का आमंत्रण दै रहे हयँ।

कासिम चचा ने कोरोना को लेकर नई बात बताते हुए कहा- वैज्ञानिकों का मत है कि कोरोना की तीसरी लहर सबसे ज्यादा बच्चों को प्रभावित करेगी। पहली लहर में उम्रदराज लोगों को अपना शिकार बनाया था। दूसरी लहर में सबसे ज्यादा युवाओं की मौत हुई थी। अब तीसरी लहर में बच्चों पर आफत आने की आशंका है। बच्चों के लिए अभी तक वैक्सीन भी नहीं आयी है। इधर, यूपी में सभी बच्चों के स्कूल खुल गए हैं। प्रदेश के तमाम स्कूलों में कोरोना गाइड लाइन का रत्ती भर पालन नहीं हो रहा है। राजधानी लखनऊ के ही अनेक निजी स्कूलों में न शिक्षक मॉस्क लगा रहे हैं और न ही बच्चे। स्कूलों की क्लासेज में बिना मॉस्क अध्ययन-अध्यापन हो रहा है। बच्चों को स्कूल बस एवं वैन में ठसाठस भरकर आवागमन कराया जा रहा है। कुछ स्कूलों में तो वहां के प्रबंधकों ने ही मॉस्क न लगाने का आदेश दे रखा है। निजी स्कूलों के मालिकों की यह लापरवाही-मनमानी बच्चों के लिए बेहद खतरनाक साबित होगी। सरकार को इस पर तत्काल ध्यान देना चाहिए।

इसी बीच चंदू बिटिया प्रपंचियों के लिए जलपान लेकर हाजिर हो गई। हम सबने ‘पोय’ के पत्तों की कुरकुरी पकौड़ियाँ खाईं। फिर कुल्हड़ वाली स्पेशल चाय के साथ प्रपंच आगे बढ़ा। बड़के दद्दा ने अफगानिस्तान और तालिबान की चर्चा करते हुए बताया- एक तरफ अफगानिस्तान में ईरान की तर्ज पर तालिबान सरकार बनाने की कवायद में लगा है। दूसरी तरफ पंजशीर घाटी में कब्जे को लेकर तालिबान और नार्दन एलाइंस के मध्य जंग जारी है। इसी बीच आतंकी संगठन तालिबान के एक पदाधिकारी ने कश्मीर का भी राग अलापा है। यह भारत के लिए चिंता का विषय है। पाकिस्तान और चीन तालिबान को भारत में आतंक फैलाने के लिए तैयार करने में जुटे हैं। हालांकि, तालिबान अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद कई बार कह चुका है कि वह भारत के साथ मधुर सम्बन्ध चाहता है। लेकिन, तालिबान की कथनी और करनी में हमेशा अंतर देखा गया है। इसलिए भारत सरकार फूंक-फूंक कर कदम उठा रही है।

चतुरी चाचा

मुंशीजी ने विषय परिवर्तन करते हुए कहा- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाय को लेकर बड़ी अहम टिप्पणी की है। उच्च न्यायालय ने केन्द्र सरकार से कहा है कि वह गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करे। साथ ही, गाय के भरण-पोषण, रक्षण के लिए प्रभावी कानून बनाए। गाय सिर्फ एक पशु या किसी धर्म विशेष की प्रतीक नहीं है। गाय भारतीय संस्कृति-सभ्यता की ध्वजवाहक है। गाय मानव जीवन को बड़ा सुगम बनाती है। बहरहाल, गाय से जुड़ी गेंद केंद्र सरकार के पाले में चली गई है। लेकिन, गाय पर नए सिरे से राजनीति होने लगी है। गौवंश के कल्याण के लिए तमाम बातें हो चुकी हैं। सरकारें अलग-अलग योजनाएं ला चुकी हैं, किन्तु गौवंश आज भी सड़क पर भूखे-प्यासे मरने पर मजबूर हैं। अनगिनत गौशालाएं खोली गईं। परन्तु, इन गौशालाओं में गौवंश को भरपेट चारा तक नहीं मिल पा रहा है। गौवंश विशेषकर साँड़ों से किसानों और राहगीरों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है। साँड़ों के झुंड जहां रातोंरात सैकडों बीघे फसल चौपट कर देते हैं, वहीं ये हाइवे और लिंक रोड पर सड़क दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं।

चतुरी चाचा ने सबको शिक्षक दिवस की बधाई देते हुए कहा- आज के आधुनिक दौर में गुरु-शिष्य परंपरा अपना अस्तित्व खोती जा रही है। शिष्यों के मध्य गुरुओं का मान घटता ही जा रहा है। शिक्षकों को अपने गौरव को फिर से स्थापित करना चाहिए। शिक्षकों को समाज के उन्नयन के लिए कटिबद्ध होकर कार्य करना चाहिए।

अंत में मैंने सबको कोरोना अपडेट देते हुए बताया कि विश्व में अबतक 22 करोड़ 60 लाख से अधिक लोगों को कोरोना हो चुका है। इनमें 45 लाख 66 हजार से ज्यादा मरीजों की मौत हो गई। इसी तरह भारत में अबतक तीन करोड़ 30 लाख से ज्यादा लोग कोरोना की गिरफ्त में आ चुके हैं। इनमें चार लाख 40 हजार से अधिक लोगों को बचाया नहीं सका। पूरी दुनिया में कोरोना का टीकाकरण चल रहा है। भारत में भी 18 वर्ष से ऊपर वालों को बड़ी तेजी के साथ वैक्सीन लगाई जा रही है। अबतक तकरीबन 66 करोड़ लोगों को टीका लगाया जा चुका है। हमारे देश ने एक दिन में एक करोड़ 28 लाख लोगों को वैक्सीन लगाने का रिकॉर्ड भी बनाया है। बच्चों की वैक्सीन परीक्षण के दौर से गुजर रही है। बहरहाल, जबतक सबका टीकाकरण नहीं हो जाता है, तबतक हम सबको मॉस्क और दो गज की दूरी का पालन कड़ाई से करना चाहिए। हमें अपने बच्चों को लेकर बेहद सतर्क रहना चाहिए। इसी के साथ आज का प्रपंच समाप्त हो गया। मैं अगले रविवार को चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे पर होने वाली बेबाक बतकही लेकर हाजिर रहूँगा। तबतक के लिए पँचव राम-राम!

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