हिंदू धर्म में गायों के महत्व और उन्हें मारने (cow slaughter) की प्रथा को रोकने की आवश्यकता पर जोर देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तीखी टिप्पणी की है। पीठ के जज जस्टिस शमीम अहमद (justice shamim ahmed) ने कहा कि गाय को मारने वाला नर्क में सड़ता है, इसलिए गौहत्या पर बैन होना चाहिए।
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पीठ ने यह भी कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जहां सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए। गाय वैदिक काल से पूजनीय है। इसलिए केंद्र सरकार को गाय को ‘संरक्षित राष्ट्रीय पशु’ घोषित करने का निर्णय लेना चाहिए।
बीते शुक्रवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए इलाहबाद हाई कोर्ट ने आशा व्यक्त की कि केंद्र सरकार देश में गौहत्या पर प्रतिबंध लगाने और इसे ‘संरक्षित राष्ट्रीय पशु’ घोषित करने के लिए एक उचित निर्णय लेगी।
लाइव लॉ के मुताबिक, न्यायमूर्ति शमीम अहमद की पीठ ने यह भी कहा कि चूंकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जहां हमें सभी धर्मों और हिंदू धर्म का सम्मान करना चाहिए, यह विश्वास है कि गाय दैवीय और प्राकृतिक भलाई का प्रतिनिधि है और इसलिए इसका सम्मान और रक्षा की जानी चाहिए।
अदालत ने आरोपी मोहम्मद अब्दुल खालिक द्वारा दायर सीआरपीसी की धारा 482 याचिका खारिज कर दी। जिसमें उस पर उत्तर प्रदेश गोवध निवारण अधिनियम, 1955 की धारा 3/5/8 के तहत मामला दर्ज किया गया है। अदालत ने आरोपी को राहत देने से इनकार करते हुए कहा, “मामले में चार्जशीट/आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने का कदम नहीं उठायाजा सकता है, क्योंकि यह प्रथम दृष्टया अपराध का खुलासा करता है।
अदालत ने टिप्पणी में कहा, “गाय को विभिन्न देवताओं से जोड़ा गया है। विशेष रूप से भगवान शिव, जिनकी सवारी नंदी बैल है। भगवान इंद्र कामधेनु, बुद्धिमान-अनुदान देने वाली गाय से निकटता से जुड़े हैं। वहीं, भगवान कृष्ण जिनकी युवावस्था में चरवाहा के रूप में बताई गई है। इसके अलावा गाय में कई मातृ गुणों है, जिसकी वजह से गाय हिंदू धर्म के सभी जानवरों में सबसे पवित्र है।”
यह देखते हुए कि गाय की पूजा की उत्पत्ति वैदिक काल (दूसरी-सहस्राब्दी 7वीं शताब्दी ईसा पूर्व) में देखी जा सकती है, पीठ ने कहा कि जो कोई भी गाय को मारता है या दूसरों को मारने की अनुमति देता है, उसे नरक में सड़ना पड़ता है। अदालत ने कहा कि गाय की पूजा उपचार शुद्धिकरण के अनुष्ठानों में उपयोग में लाई जाती है। इसमें गाय का दूध, दही, मक्खन, मूत्र और गोबर शामिल है।