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प्राकृतिक खेती ईश्वर की सेवा: पालेकर

लखनऊ। डॉ भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी में लोकभारती के तत्वावधान में आयोजित शून्य लागत प्राकृतिक कृषि शिविर के दूसरे दिन कृषि ऋषि पदम सुभाष पालेकर ने कहा कि प्राकृतिक कृषि ईश्वर की सेवा है। दुनिया में सबसे पहले प्रकृति बनी उसके बाद मानव का विकास हुआ मनुष्य ने भगवान को देखा तो नहीं है लेकिन हर पल महसूस किया है। जैसे हम हवा को नहीं देख पाते लेकिन उसे सदा महसूस करते हैं। इसी बात ईश्वर भी है पालेकर ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा की प्रकृति में जो भी फसलें या पेड़ पौधे हैं। सभी इस अन्नपूर्णा धरती से अपने विकास के लिए जो भी लेते हैं उसे वापस भी करते हैं। कहने का आशय यह है कि प्रकृति के सभी तत्व जिस रुप में पेड़ पौधों से लिए जाते हैं। फसल पकने के बाद वह वापस प्रकृति को वापस हो जाते हैं। उदाहरण के तौर पर कोई पौधा धरती से नाइट्रोजन लेता है तो वह अपना भोजन बनाने के बाद फसल के पकने के बाद अवशेष के माध्यम से नाइट्रोजन वापस कर देता है यही क्रिया हर तत्व के साथ होती है।
मिट्टी की जांच एक धोखाधड़ी
पालेकर ने कहा की मिट्टी की जांच एक धोखाधड़ी है हम जमीन में जितना गहराई में जाते हैं खाद्य पदार्थों की मात्रा निरंतर बढ़ती जाती है। हमारे वैज्ञानिक चयन समिति की जांच कर खाद डालने की बात करते हैं, जबकि जमीन के नीचे भंडार भरा पड़ा है यही कारण है की प्राकृतिक आध्यात्मिक खेती करना ईश्वर की सेवा है, क्योंकि प्रकृति​ ही ईश्वर है। इस कार्यशाला में लगभग 1500 से अधिक किसान भाग ले रहे हैं, जिसमें नेपाल बांग्लादेश के भी किसान प्रशिक्षण ले रहे हैं। पालेकर ने कहा यह हर्ष का विषय है कि युवा इस प्रशिक्षण शिविर में भाग ले रहे हैं। रासायनिक एवं जैविक खेती एक विदेशी षड्यंत्र यह लूटने की व्यवस्था है। शिविर में कल देसी गाय के प्राकृतिक खेती में योगदान तथा महत्व पर बताया जाएगा। शिविर में लोक भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बृजेंद्र पाल सिंह कार्यक्रम समन्वयक गोपाल उपाध्याय तथा संपर्क प्रमुख कृष्ण चौधरी प्रमुख रुप से उपस्थित रहे।

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