Breaking News

स्कूली बच्चों को मिली फाइलेरिया रोग के बारे में जानकारी

  • शहर के राजकीय अनुग्रह मध्य विद्यालय में हुआ कार्यक्रम
  • फाइलेरिया घातक बीमारी, हाथीपांव से हो जाती है अपंगता

औरंगाबाद। फाइलेरिया की रोकथाम को लेकर जिला में 21 दिसंबर से प्रारंभ होने वाले सर्वजन दवा सेवन अभियान के तहत आमजन को इस रोग के बारे में जानकारी दी जा रही है और अभियान को लेकर उनका उन्मुखीकरण भी किया जा रहा है. इसके तहत शनिवार को शहर के राजकीय अनुग्रह मध्य विद्यालय में कार्यक्रम का आयोजन कर बच्चों को फाइलेरिया रोग के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी तथा दवा सेवन के बारे में बताया गया. बच्चों से शपथ दिलायी गयी कि यदि दवा सेवन के लिए स्वास्थ्यकर्मी उनके घर आते हैं तो उनके सामने ही वे सभी फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन जरूर करेंगे और अपने घर में भी परिजनों को दवा सेवन के लिए प्रेरित करेंगे. इसके साथ ही उन्हें फाइलेरिया से होने वाले हाथीपांव, हाइड्रोसील तथा स्तनों के सूजन आदि रोग के बारे में जानकारी दी गयी. इस दौरान प्रधानाध्यापक उदय कुमार सिंह, पीसीआई जिला समन्वयक अनमोल मिश्रा एवं अन्य शिक्षक मौजूद थे.

बच्चों को मिली फाइलेरिया के बारे में जानकारी: कार्यक्रम में बच्चों को संबोधित करते हुए प्रधानाध्यापक ने बताया यूचेरिया ब्रेंकॅाफटाई परजीवी के कारण शरीर का लिम्फेटिक सिस्टम प्रभावित होता है. मच्छर के काटने से यह परजीवी मनुष्य तक पहुंचता है. इससे हाथीपांव तथा पुरुषों में हाइड्रोसील व महिलाओं में स्तन में सूजन जैसी समस्या देखने को मिलती है. यह फाइलेरिया रोग है. यदि किसी व्यक्ति को हाथीपांव हो जाता है तो इससे उसका पूरा जीवनकाल प्रभावित होता है. हाथीपांव जैसे रोग होने से रोगी सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ जाता है. इसलिए दवा का सेवन कर शरीर को परजीवी से मुक्त रखा जाता है.

वीबीडीसीओ ने भी की दवा सेवन की अपील: वहीं वेक्टर जनित रोग नियत्रंण पदाधिकारी डॉ कुमार महेंद्र प्रताप ने फाइलेरिया के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि इसका संक्रमण किसी उम्र में हो सकता है और लक्षण संक्रमण के पांच से सात साल बाद पता चलता है. फाइलेरिया संक्रमण के बाद संक्रमित को जाड़ा के साथ बुखार और हाइड्रोसील की समस्या होने लगती है. कई संक्रमितों को पांव में सूजन हो जाता है. यह हाथीपांव कहलाता है और इसका कोई इलाज नहीं है. हाथीपांव हो जाने के बाद रोगी की दैनिक जीवन की परेशानी बहुत बढ़ जाती है और यह एक प्रकार विकलांगता को जन्म देता है. इसलिए फाइलेरिया रोग से बचाव के लिए सर्वजन दवा सेवन के तहत दी जाने वाली दवा का सेवन अवश्य करना चाहिए. साथ ही मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल जरूर करें. दवा के सेवन को बिल्कूल नजरअंदाज नहीं करें.

About Samar Saleel

Check Also

संस्कृत छात्र प्रतिभा सम्मान कार्यक्रम…सीएम धामी ने 261 छात्र-छात्राओं को किया सम्मानित

देहरादून:  सीएम पुष्कर सिंह धामी ने आज मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में संस्कृत ...