शिवसेना और भाजपा का 30 साल की दोस्ती सोमवार को महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद की भेंट चढ गई। मोदी मंत्रिमंडल में शिवसेना का एक मात्र मंत्री अरविन्द सावंत ने अपना इस्तीफा प्रधानमंत्री को सौंप दिया। इसके साथ ही स्वर्गीय बाल ठाकरे, स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपयी, लाल कृष्ण आडवाणी ने 30 साल पहले जिस दोस्ती की शुरूआत की थी वह खत्म हो गई।
इस्तीफा देने के बाद सावंत ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान जब शिवसेना ने अगल चुनाव लडने की घोषणा की किया था उस समय भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने विधानसभा चुनाव में 50-50 फार्मूला पर काम करने का आश्वासन दिया था। लेकिन आज वह इस बात से मुकर रही है। इससे उद्वव ठाकरे के उपर सवाल उठ रहें हैं। ऐसे में मेरा केन्द्र सरकार में बने रहना उचित नहीं है।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। शिवसेना और एनसीपी जहां सरकार बनाने के लिए साथ आने को तैयार है वहीं अब सबकी नजर कांग्रेस पर है। अन्दरखाने कांग्रेस भी प्रदेश भाजपा को बहार रखने के लिए सरकार बनाने के पक्ष में है। कांग्रेस के 44 में 37 विधायक शिवसेना के साथ सरकार बनाने के लिए पार्टी आलाकमान को लिखित अनुरोध भी कर चुकें है।