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टीएमयू कैम्पस में निकली श्रीजी की भव्य रथयात्रा

• दिव्य घोष की धुनों पर और शोभायमान हुई श्रीजी की भव्य रथयात्रा

• रथयात्रा को सृष्टि भूषण माताजी एवं विश्वयशमति माताजी का मिला सानिध्य

• श्रीजी की रथयात्रा में शामिल हुआ कुलाधिपति परिवार

• कुलाधिपति परिवार की ओर से माताजी के चरणों में जिनवाणी की गई समर्पित

मुरादाबाद। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी कैम्पस में श्रीजी की भव्य रथयात्रा धूमधाम से निकली। इस अविस्मरणीय रथयात्रा महोत्सव में कुलाधिपति परिवार के संग-संग सैकड़ों श्रावक औऱ श्राविकाएं शामिल हुए। कुलाधिपति सुरेश जैन दोनों हाथों में चमर लिए भक्ति के सागर में डूबे नजर आए। दिव्यघोष के साथ रथयात्रा जिनालय से प्रारम्भ होकर यूनिवर्सिटी कैंपस में मेडिकल हॉस्टल्स, फैकल्टीज रेजीडेंस, संत भवन, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, एफओईसीएस, आर्मी टैंक, क्रिकेट पवेलियन, एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक होते हुए रिद्धि-सिद्धि भवन पहुंची।

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रथयात्रा को रिद्धि-सिद्धि भवन पहुँचने में करीब चार घंटे का समय लगा। रथयात्रा में आचार्य श्री 108 सुमति सागर महाराज की परम प्रभाविका शिष्या वात्सल्य मूर्ति आर्यिका रत्न 105 श्री सृष्टि भूषण माताजी एवं कोकिला कंठ आर्यिका रत्न 105 श्री विश्वयशमति माताजी, कुलाधिपति सुरेश जैन, फर्स्ट लेडी वीना जैन, जीवीसी  मनीष जैन, ऋचा जैन, एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर अक्षत जैन के अलावा दिगम्बर जैन समाज, मुरादाबाद के अध्यक्ष अनिल जैन, महिला दिगम्बर जैन समाज की अध्यक्ष नीलम जैन, मुरादाबाद चातुर्मास समिति के सदस्य एवम् रामगंगा जैन समाज के सदस्य राहुल जैन, राकेश जैन, अनुराग जैन, राजीव जैन, वकील जैन, अभिषेक जैन, नितिन जैन, प्रो मंजुला जैन, मनोज जैन, प्रो एसके जैन, विपिन जैन, प्रो विपिन जैन, डॉ रत्नेश जैन, प्रो आरके जैन, डॉ विनोद जैन, डॉ आशीष सिंघई, डॉ कल्पना जैन आदि की गरिमामयी मौजूदगी रही।

टीएमयू कैम्पस में निकली श्रीजी की भव्य रथयात्रा

इससे पूर्व श्रीजी को जिनालय से रथ तक ढोल नगाड़ों के साथ लाया गया और रथयात्रा का शुभारम्भ कुलाधिपति सुरेश जैन, फर्स्ट लेडी वीना जैन, जीवीसी मनीष जैन, ऋचा जैन, एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर अक्षत जैन ने रथ खींचकर किया। कुलाधिपति, जीवीसी और एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर ढोल बजाते हुए भक्ति में लीन हो गए। इस अवसर पर संपूर्ण धार्मिक क्रियाओं का संचालन ब्रह्मचारी ऋषभ जैन शास्त्री ने आर्यिकाओं के सानिध्य में किया। रथयात्रा में सैकड़ों श्रावक श्राविकाओं के संग-संग अमरोहा, संभल, रामपुर, बिजनौर, उधमसिंह नगर ज़िलों से भी बड़ी संख्या में जैन समाज के गणमान्य प्रतिनिधियों ने भी शामिल होकर रथयात्रा महोत्सव की शोभा बढ़ाई। अंत में कुलाधिपति आवास-संवृद्धि पर रथयात्रा महोत्सव में भाग लेने वाले समस्त श्रद्धालुओं को वात्सल्य भोज कराया गया। कुलाधिपति परिवार की ओर से माताजी के चरणों में जिनवाणी समर्पित की गई।

रथयात्रा में सौधर्म इन्द्र बनने का सौभाग्य प्रसन्न जैन को मिला, जबकि रथ पर चार इन्द्र बनने का पुण्य सौम्य जैन, संस्कार जैन, संयम जैन, अतिशय जैन ने कमाया। फैकल्टी ऑफ एजुकेशन के डॉ रत्नेश जैन कुबेर बने तो सारथी बनने का सौभाग्य वागले वाले छुट्टन को मिला। बग्गी पर बैठने का सौभाग्य एग्रीकल्चर कॉलेज के डीन डॉ प्रवीन जैन, रिषभ जैन और अभिषेक जैन को मिला। घोड़े पर बैठने का सौभाग्य वैभव जैन पोंडीचेरी, सार्थक गोईल, फार्मेसी कॉलेज के डॉ आर्जव जैन और मुनीश जैन ने प्राप्त किया।

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मुरादाबाद जैन समाज से आशु जैन ने माला की बोली ली। आर्यिका रत्न 105 सृष्टि भूषण माताजी के पाद प्राक्षालन का सौभाग्य यूनिवर्सिटी के जैन महिला मंडल को मिला। रथयात्रा में आगे-आगे कलश लिए हुए कन्याएं, जैन ध्वजा लिए छात्र और दिव्य घोष के बैंड ने संगीत और भजनों के साथ सम्पूर्ण विश्वविद्यालय परिसर को जैन धर्म की तरंगों से सराबोर कर दिया। आर्यिका रत्न 105 श्री सृष्टि भूषण माताजी और कंठकोकिला आर्यिका 105 श्री विश्वयश माताजी के सानिध्य में रथयात्रा चल रही थी यात्रा के दौरान भक्तिमय गीतों पर श्राविकाएं आध्यात्म में लीन नजर आईं। उड़ी-उड़ी जाए…, केसरिया केसरिया, आज म्हारो रंग केसरिया…, रंगमा-रंगमा रंग गयो रे…, बाबा कुण्डलपुर वाले की भक्ति करूं झूम-झूम के…, आदि संगीतमय भजनों पर ऋचा जैन, नीलम जैन, डॉ अर्चना जैन, ऋतु जैन, अहिंसा जैन, डॉ नम्रता जैन, डॉ स्वाति जैन आदि गरबा के रंग में रंगी नजर आईं।

रथयात्रा के दौरान श्रावक सफ़ेद कुर्ता पजामा औऱ श्राविकाएं सफ़ेद सलवार औऱ केसरिया रंग के दुपट्टे में नजर आए। टिमिट, मेडिकल, सीसीएसआईटी और लॉ कॉलेज के छात्रों ने अपनी अद्भुत और मोहक नृत्य प्रस्तुतियां दी। रिद्धि-सिद्धि भवन में प्रथम स्वर्ण कलश से अभिषेक करने की बोली श्री अक्षत जैन ने ली। द्वितीय स्वर्ण कलश से अभिषेक करने का पुण्यलाभ आदित्य मेहरा, तृतीय स्वर्ण कलश से अक्षत जैन ने कमाया, जबकि चतुर्थ स्वर्ण कलश से अभिषेक करने का सौभाग्य नमन जैन को प्राप्त हुआ। प्रथम शांतिधारा करने का सौभाग्य परमार्थ ग्रुप को मिला। द्वितीय शांतिधारा करने का सौभाग्य मेडिकल के श्री पवन जैन को प्राप्त हुआ।

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आर्यिका रत्न 105 श्री सृष्टि भूषण माताजी ने अपने आशीर्वचन में कहा, जो कर्माें को जीत लेते हैं, वही महावीर बन जाते हैं। अनुशासन दो प्रकार का होता है-बाह्य और आंतरिक। अंतरंग वाला अनुशासन अंतरात्मा परिष्कृत कर उच्च स्थान दिला देता है, बाह्य अनुशासन दंश से बचा लेता है। स्टुडेंट्स को पढ़ाई के साथ-साथ अनुशासित और आत्म निर्भर बनाइए। मन भर के जियो, मन भारी करके मत जियो। बंदिशों और रंजिशों से ऊपर जाकर जीवन जिओ। घृणा, ईर्ष्या, छल-कपट से दूर रहो। रथयात्रा की प्रस्तुतियां उन सुंदर संभावनाओं के प्रतीक हैं, जो एक सभ्य सुसंस्कृत शिक्षित समाज के निर्माण की पहचान है। ठोकर खाकर मंदिर जाने से क्या फायदा। पानी की बूंद गंधोदक बन जाती है, यदि वह उचित समय पर उचित स्थान पर होती है। जैसे वही पानी की बूंद जब सीप में जाए तो मोती, मिर्ची में जाए तीखी, सर्प के मुख में जहर और परमात्मा के सिर पर जाए तो गंधोदक बन जाती है।

जिस तरह कन्या दो कुलों को रोशन करती है, वैसे ही टीएमयू के स्टुडेंट्स यूनिवर्सिटी और अपने परिवार का नाम निश्चित ही रोशन करेंगे। आर्यिका 105 श्री विश्वयशमती माताजी ने कहा, सिर्फ जैन समाज ही है, जिसमें क्षमावाणी पर्व मनाया जाता है। टीएमयू में शिक्षा के साथ संस्कार भी दिए जाते हैं। ऐसे माहौल में गुरुओं के अंतरंग से आशीर्वाद मिलता है। माताजी के करकमलों से स्थापित नींव का बीज आज वट वृक्ष का रूप लेने जा रहा है। टीएमयू आज नई ऊचाइयां प्राप्त कर रहा है। कुलाधिपति सुरेश जैन ने संतों के आशीर्वाद से वर्ष 2001 से अब तक यूनिवर्सिटी की विकास यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कहा, पीतल नगरी के रूप में मशहूर मुरादाबाद को शिक्षा नगरी बनाने का सपना संजोया था।

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इसे पूरा करने के लिए वर्ष 2001 में दृष्टि भूषण माताजी एवं सृष्टि भूषण माता जी के आशीर्वाद और प्रेरणा से भगवान महावीर स्वामी के नाम पर 2001 में टिमिट की स्थापना हुई। वर्ष 2005 में मुनि सौरव सागर महाराज की प्रेरणा से डेंटल कॉलेज की स्थापना और अंततः वर्ष 2008 में तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी का श्रीगणेश हुआ। वर्ष 2011 में आचार्य शिरोमणि विद्यासागर महाराज के संग ब्रह्मचारिणी सपना दीदी ने टीएमयू की फर्स्ट लेडी वीना जैन से यूनिवर्सिटी परिसर में मंदिर बनने की इच्छा प्रकट की।

आचार्य शिरोमणि विद्यासागर महाराज और ब्रह्मचारिणी सपना दीदी की इच्छानुसार ही वर्ष 2012 में तीर्थंकर महावीर जिनालय की स्थापना हुई। इसके साथ ही यूनिवर्सिटी में नए-नए कॉलेजों की स्थापना होती रही। जिनालय में रिद्धि-सिद्धि भवन का निर्माण हुआ। कुलाधिपति बोले, अहिंसा ही दुनिया का एकमात्र लक्ष्य होना चाहिए। हमें महावीर स्वामी को ढूंढने की जरूरत नहीं है, महावीर स्वामी हमारे हृदय में निवास करते हैं। हम महावीर के सिद्धांतों पर चलते हुए अपने जीवन को साकार कर सकते हैं।

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