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शीतलहर में शिशुओं का रखें खास ख्याल- सीएमओ

• सिर, गला, हाथ और पैरों को ढंक कर रखें

• हाइपोथर्मिया, निमोनिया आदि बीमारियों से करें बचाव – डॉ मृदुला

• नहलाने के साथ गर्म व ताजे खानपान का रखें विशेष ध्यान

वाराणसी। आजकल की ठंड में शिशु की देखभाल करना बहुत जरूरी है। नवजात की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। इस कारण इनको सर्दी-जुकाम और बुखार की समस्या जल्दी हो जाती है। इसलिए इनके प्रमुख अंगों को ढंककर रखें, नाजुक शरीर होने के कारण सर्दी में बच्चे की खास देखभाल जरूरी है। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) का।

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            डॉ संदीप चौधरी

सीएमओ डॉ चौधरी ने कहा कि शीतलहर में बच्चों को बिना कार्य के बाहर नहीं निकलें। कम से कम यात्रा करें। साथ ही गर्म उनी कपड़े से सिर, गला, हाथ और पैरों को ढक कर रखें। गर्म ताजा एवं पौष्टिक भोजन करें। विटामिन-सी की प्रचुरता वाले फल और सब्जी का अधिक सेवन करें, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता तथा तापमान को नियंत्रित रखती है। नियमित अंतराल पर गुनगुना पानी पीते रहें। बंद कमरे में लकड़ी या कोयला न जलाएं। इससे जानलेवा गैसें निकलती हैं। शीतलहर के दौरान शरीर के तापमान में गिरावट आने से कपकपी बोलने, सीने में तकलीफ, मांस-पेशियों में खिचाव. सांस लेने में तकलीफ, बेहोशी एवं स्वास्थ्य संबंधी समस्या जैसे फ्लू, बहती नाक आदि बीमारियां हो सकती हैं।

ऐसे लक्षण दिखने पर तत्काल चिकित्सकों से संपर्क कर इलाज कराएं। चिकित्सकीय परामर्श का जरूर पालन करें। मंडलीय चिकित्सालय की वरिष्ठ शिशु रोग विषेशज्ञ डॉ मृदुला मलिक ने बताया कि शीतलहर में शिशु के शरीर के प्रमुख अंगों को ढंककर रखें, नाजुक शरीर होने के कारण उन्हें खास देखभाल की जरूरत है। शिशुओं की देखभाल की जिम्मेदारी परिवार के सभी लोगों पर है। उनका कहना है कि ठंड में बच्चों की देखभाल ही उसे बीमारी से बचाने का उपाय है। इन दिनों शिशु को आवश्यकतानुसार गर्म मुलायम कपड़े पहनाएं। इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे का सिर, गला और हाथ पूरी तरह से ढका हुआ हो, पैरों में गर्म मोजे हों।

     डॉ मृदुला मलिक

ठंड के दिनों में बच्चों को स्किन रैशेज का खतरा ज्यादा रहता है क्योंकि बच्चे दिन भर कपड़ों में ढके रहते हैं। ऐसे में बच्चों के कपड़ों का सही तरीके से चुनाव नहीं किया गया तो कुछ कपड़े बच्चों के लिए तकलीफदेह साबित हो सकता है। ठंड में बच्चों को पानी में भींगने से बचे। बच्चों को खुली हवा में खेलने से रोकें। इससे बच्चों में बुखार का खतरा बना रहता है। साथ ही निमोनिया भी हो सकता है। यह बीमारी सर्दी जुकाम का बिगड़ा हुआ रूप है जो आगे चलकर गंभीर साबित हो सकती है। गर्म पानी और तरल पदार्थ खिलाते रहें। बच्चों के हाथ साफ रखें ताकि वे संक्रामक रोग से बचे रहें।

बच्चा अधिक थका हुआ लगे या उसके अंदर कुछ असमान्य परिवर्तन देखने को मिले तो सबसे पहले उसके शरीर का तापमान चेक करें। अगर शरीर का तापमान कम लगे तो यह समझ लेना चाहिए कि बच्चा अल्पताप या हाइपोथर्मिया की स्थिति में है। ऐसी स्थिति में तुरंत नजदीकी अस्पताल से संपर्क करना जरूरी है। ठंड का ध्यान रखें- मौसम के प्रभाव के कारण सर्दी के मौसम में बच्चे के ठंडा पानी पीने, आइसक्रीम खाने, रात में ओढ़कर न सोने से उसे सर्दी-जुकाम हो जाता है। शिशु का बिस्तर गर्म रखें, सुलाने से पहले हॉट वाटर बॉटल से बिस्तर गर्म कर लें। हो सके तो बच्चे के आसपास हीटर का प्रयोग न करें। करना भी पड़े तो ऑयल वाले हीटर को प्रयोग में लें। खानपान का ध्यान रखें- दो साल तक बच्चों को स्तनपान जरूर कराएं। बच्चे में यदि बुखार के लक्षण लगे तो उसे पालक, मेथी, बथुआ, टमाटर या हरे धनिए का सूप बनाकर दे सकते हैं।

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नहलाने का ध्यान रखें- ठंड में शिशुओं को रोज न नहलाएं। रोज नहलाने की जगह गुनगुने पानी में टॉवल भिगोकर स्पॉन्जिंग करनी चाहिए। लेकिन यदि बच्चा थोड़ा बड़ा है तो रोज नहलाएं। नहलाने के बाद उसके शरीर की मालिश जरूर करें।

रिपोर्ट-संजय गुप्ता

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