उत्तर प्रदेश के जलशक्ति मंत्री डाॅ. महेन्द्र सिंह ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि बाढ़ नियंत्रण के लिए संवेदनशील जनपदों में परियोजनाओं पर कार्य आगामी 15 जनवरी से युद्धस्तर पर हर हाल में शुरू करा दिये जाएं। उन्होंने कहा कि बाढ़ सम्बंधी कार्यों में पूरी गुणवत्ता, पारदर्शिता एवं समयबद्धता का पालन करते हुए अगले मई तक सभी कार्य पूरे कराए जाएं। इन कार्यों में किसी प्रकार की लापरवाही अथवा उदासीना को गम्भीरता से लेते हुए सम्बंधित की जवाबदेही तय करते हुए कठोर कार्यवाही की जायेगी।
जलशक्ति मंत्री आज सिंचाई मुख्यालय स्थित नवीन सभागार में उ.प्र. राज्य बाढ़ नियंत्रण परिषद की स्थायी संचालन समिति की 53वीं बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सम्बोधित करते हुए बाढ़ से निपटने के लिए उ.प्र. सरकार द्वारा इस वर्ष किये गये उपायों की सराहना की थी। उन्होंने कहा कि उ.प्र. की सतत निगरानी एवं सतर्कता से प्रदेश में कोई जनधन की हानि नहीं हुई।
डाॅ. महेन्द्र सिंह ने कोविड-19 की विपरीत परिस्थितियों के दौरान अच्छा कार्य किये जाने पर अभियंताओं की सराहना की। उन्होंने कहा कि अगले साल भी इसी तरह की तैयारी रखनी है ताकि बाढ़ से प्रभावित होने वाले जनपदों में किसी प्रकार की क्षति न हो। उन्होंने कहा कि नाले के सफाई का कार्य जून से पहले पूरा किया जाना चाहिए। इसके साथ ही पुल और पुलियों की मरम्मत एवं रंगाई-पुताई भी अनिवार्य रूप से की जानी चाहिए। उन्होंने नालों की सूची तैयार करने के भी निर्देश दिये, जिसमें लम्बाई, किस गांव से किस गांव तक जाता है और किस जनपद, क्षेत्र, विकास खण्ड के अन्तर्गत स्थित है, इसका पूरा विवरण दर्ज करते हुए सफाई से पूर्व, सफाई के समय एवं सफाई के बाद की फोटोग्राफी कराने के निर्देश दिये।
जलशक्ति मंत्री ने अभियंताओं को आगाह करते हुए कहा कि परियोजनाओं के सम्बंध में ईमानदारी के साथ आंगणन तैयार करें। परियोजना का प्रस्ताव वास्तविक होना चाहिए। ठेकेदारों की मनमानी के चलते पिछली बार विभाग की छवि धूमिल हुई। इस बार ऐसी स्थिति नहीं आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नम्बर एक का काम जमीन पर दिखना चाहिए। कार्य में गुणवत्ता को लेकर किसी प्रकार की दलील नहीं सुनी जायेगी। उन्होंने अनुश्रवण की व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने पर जोर देते हुए कहा कि इस वर्ष की भांति भी अगले वर्ष हर जगह कैमरे स्थापित कराये जाएं ताकि इसकी निगरानी लगातार की जा सके। उन्होंने कहा कि टेण्डर से लेकर कार्य शुरू होने की प्रक्रिया तेजी से पूरी की जाय और पिछली गलतियों को इस बार न दोहराया जाय।
डाॅ. महेन्द्र सिंह ने कहा कि अगले वर्ष ड्रेजिंग के कार्य पर भी विशेष ध्यान दिया जाय। ड्रेजिंग से निकाली गई मिट्टी एवं बालू का समुचित निस्तारण अनिवार्य रूप से कराया जाय। इसी प्रकार नालों की सफाई कराते समय उसका मलबा एवं कचरा साथ-साथ हटाया जाय, ताकि लोगों के आवागमन में किसी प्रकार की बाधा न पहुंचे। इसके साथ ही जीर्ण-शीर्ण तटबन्धों की मरम्मत भी कराई जाय। उन्होंने कहा कि बाढ़ से निपटने की तैयारी में किसी प्रकार की चूक नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी ने बाढ़ नियंत्रण की सभी औपचारिकताएं पूरा करते हुए 15 जनवरी, 2021 से सभी संवेदनशील जनपदों में कार्य शुरू कराते हुए मई, 2021 तक पूरा किये जाने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि बाढ़ कार्यों के लिए धन की कोई कमी नहीं है। इसलिए सभी कार्य एवं आवश्यक संसाधन की व्यवस्था प्राथमिकता के आधार पर सुनिश्चित की जाय।
राज्यमंत्री राजस्व एवं बाढ़ नियंत्रण श्री विजय कुमार कश्यप ने कहा कि कोरोना काल में भी बाढ़ से बचाव की अच्छी तैयारी के कारण ही इस वर्ष प्रदेश का नुकसान नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि बाढ़ सम्बंधी परियोजनाओं को प्राथमिकता देते हुए समय से पूरा कराया जाय, जिससे आम जनता को इसका लाभ मिल सके। इसके साथ ही अच्छे कार्यों को सोशल मीडिया के माध्यम से आम जनता तक पहुंचाया जाय। अपर मुख्य सचिव सिंचाई एवं जल संसाधान टी. वेंकटेश ने जलशक्ति मंत्री को आश्वस्त किया कि संभावित बाढ़ से निपटने के सभी कार्यों को समय से पूरा करा लिया जायेगा और अगले वर्ष भी प्रदेश की जनता को बाढ़ की विभीषिका नहीं झेलनी पड़ेगी।
बैठक में सचिव सिंचाई अनिल गर्ग, विशेष सचिव सिंचाई श्रीमती प्रियंका निरंजन व मुश्ताक अहमद, प्रमुख अभियन्ता एवं विभागाध्यक्ष आर.के. सिंह, प्रमुख अभियन्ता परिकल्प एवं नियोजन अशोक कुमार सिंह, प्रमुख अभियंता यांत्रिक देवेन्द्र अग्रवाल सहित विभिन्न जनपदों के अधीक्षण अभियंता एवं अन्य अधिकारी मौजूद थे।