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आत्मनिर्भर भारत का बजट

अमृत महोत्सव के काल खंड में आत्मनिर्भर भारत अभियान प्रगति पर है। ब्रिटेन की गणना विकसित देशों में होती है। लेकिन अर्थव्यवस्था में भारत उसको पीछे छोड़ चुका है। विगत आठ वर्षों से भारत विकास की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। मोदी सरकार ने व्यवस्था में व्यापक सुधार किया है। विगत आठ वर्षों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के द्वारा आधार, मोबाइल जैसी आधुनिक व्यवस्थाओं का उपयोग करते हुए देश के दो लाख करोड़ रुपये को गलत लोगों के हाथों तक जाने से रोक दिया गया। आत्मनिर्भर अभियान भी भारत को विकसित बनाने में सहायक सिद्ध हो रहा है। इसमें निजी क्षेत्र की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। पीएलआई योजनाओं के माध्यम से, हम दुनिया के विनिर्माण बिजलीघर बन रहे हैं। लोग मेक इन इंडिया के लिए भारत आ रहे हैं।

केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में बजट पेश किया। बजट में सात प्राथमिकताएं सप्तर्षि की अवधारणा पर आधारित हैं। इनमें समावेशी वृद्धि, हरित विकास, युवा शक्ति, वित्तीय क्षेत्र, अंतिम छोर तक पहुंच, बुनियादी ढांचे का विकास और क्षमताओं का पूरा इस्तेमाल शामिल है। कृषि क्षेत्र को गति देने के लिये अलग कोष बनाया जाएगा। नई तकनीकी पर जोर होगा। पर्यटन में घरेलू एवं वैश्विक संभावनाएं मौजूद हैं। इसके प्रोत्साहन के लिए मिशन मोड में सार्वजनिक और निजी भागीदारी में काम किया जाएगा। गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत लगभग दो लाख करोड़ रुपये का पूरा खर्च केंद्र सरकार वहन कर रही है। करीब बारह करोड़ शौचालय बनाए गए हैं। सवा दो सौ करोड़ कोविड टीके लगाए गए। करीब
अड़तालीस करोड़ जन-धन योजना के तहत बैंक खाते खोले गए।

करीब सवा दो लाख करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष लाभ अंतरण किया गया। प्रति व्यक्ति आय दोगुनी से अधिक बढ़कर करीब दो लाख रुपये हो गई है। इन नौ वर्षों में, भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में बढ़ी है। चालू वर्ष के लिए हमारी वृद्धि सात प्रतिशत अनुमानित है। यह महामारी और युद्ध के कारण बड़े पैमाने पर वैश्विक मंदी के बावजूद सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है। भारतीय अर्थव्यवस्था सही रास्ते पर है। यह उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ रही है। अर्थव्यवस्था में संगठित क्षेत्र का दायरा बढ़ा है। कोरोना महामारी के दौरान करीब तीस महीनों के लिए अस्सी करोड़ से ज्यादा लोगों को मुफ्त राशन की व्यवस्था की गई। इस योजना के तहत दो लाख करोड़ रुपये केंद्र सरकार वहन कर रही है। अंत्योदय योजना के तहत गरीबों के लिए मुफ्त खाद्यान्न की आपूर्ति को एक साल के लिए बढ़ा दिया गया. कृषि से जुड़े स्टार्ट अप को प्राथमिकता दी जाएगी। युवा उद्यमियों द्वारा कृषि-स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि त्वरक कोष की स्थापना की जाएगी। पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन पर ध्यान देते हुए कृषि ऋण लक्ष्य को बढ़ाकर बीस लाख करोड़ रुपये किया जाएगा। बच्चों और किशोरों के लिए राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय स्थापित किया जाएगा।

देश में अमृतकाल, बजट से मालामाल या बुरे होंगे हाल

प्रधानमंत्री विश्वकर्म कौशल सम्मान पैकेज की परिकल्पना पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए की गई है। जो उन्हें एमएसएमई मूल्य शृंखला के साथ एकीकृत करते हुए अपने उत्पादों की गुणवत्ता, पैमाने और पहुंच में सुधार करने में सक्षम बनाएगा।बच्चों और किशोरों के लिए राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय स्थापित किया जाएगा। वेतनभोगियों को बड़ी राहत देते हुए आयकर में छूट की सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है। सात लाख रुपये तक की सालाना आय वालों को कोई टैक्स नहीं देना होगा। मौजूदा टैक्स स्लैब को पांच लाख रुपये से बढ़ाकर सात लाख रुपये कर दिया है। नई व्यवस्था के तहत टैक्स स्लैब में छूट के ऐलान के बाद अब व्यक्तिगत आयकर की नई टैक्स दर शून्य से तीन लाख रुपये तक शून्य, तीन से छह लाख रुपये तक पांच प्रतिशत,छह से नौ लाख रुपये पर दस प्रतिशत, नौ से बारह लाख रुपये पर पंद्रह प्रतिशत,बारह से पंद्रह लाख रुपये तक बीस प्रतिशत। पंद्रह लाख से ऊपर तीस प्रतिशत टैक्स लगेगा। तीन वर्ष पहले ढाई लाख रुपये से शुरू होने वाले छह आय स्लैब के साथ नई व्यक्तिगत आयकर व्यवस्था की शुरुआत की गई थी। इस व्यवस्था में कर ढांचे को बदलने का प्रस्ताव किया गया. टैक्स स्लैब की संख्या को घटाकर पांच कर दिया गया है. कर छूट की सीमा को बढ़ाकर तीन लाख रुपये किया गया है। तीन करोड़ रुपये के टर्नओवर वाले माइक्रो उद्योग को कर में छूट का प्रस्ताव किया गया। महिला सम्मान बचत पत्र योजना शुरू करने की घोषणा की गई।

आत्मनिर्भर भारत

इसमें महिलाओं को दो रुपये की बचत पर साढ़े सात प्रतिशत ब्याज मिलेगा। इसी तरह वरिष्ठ नागरिक खाता स्कीम की सीमा साढ़े चार लाख रुपये से बढ़ाकर नौ रुपये करने का प्रस्ताव है। मिलेट्स संस्थान किसानों को मोटे अनाज की खेती करने के लिए प्रेरित करने के साथ-साथ उन्हें हर संभव मदद करेगा। भारत दुनिया का सबसे अधिक मोटा अनाज का उत्पादन करने वाला देश है। हम दुनिया में मोटा अनाज निर्यात करने में दूसरे स्थान पर हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्तमान वर्ष को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया। मोटा अनाज उच्च पोषण मूल्य वाला स्मार्ट भोजन है, जो जलवायु के अनुकूल है और संयुक्त राष्ट्र के कई सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप है। मिलेट्स जैसे कोदो, रागी, बाजरा, ज्वार,समां,कुट्टू, रामदाना आदि मोटे अनाजों के प्रोडक्शन को भारत में बढ़ाने के लिए सरकार प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यू इंडिया का रोडमैप बनाया था। जिसमें भारत को विकसित देशों की श्रेणी में पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इसके साथ ही गरीबों, किसानों, छोटे व्यवसायियों का जीवन स्तर सुधारने का भी संकल्प लिया था. मोदी सरकार ने इस दिशा में अनेक योजनाएं लागू की थी। इनके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले रहे है.यूपीए सरकार में भारत ग्यारहवें स्थान पर था। उस समय अर्थव्यवस्था में निराशा और नीतिगत पंगुता का दौर था।

ऐसे में ग्यारहवीं रैंक से भी नीचे आने का खतरा था। लेकिन मोदी सरकार ने कठोर उपाय किये, जिससे पांच वर्षों में दुगनी से ज्यादा छलांग मिली थी। मोदी सरकार ने प्रभावी कदमों के माध्यम से यह उपलब्धि हासिल की थी। उसने नीति आयोग का गठन किया था। केंद्र राज्य संबंधों में गतिशीलता, सहकारी संघवाद, जीएसटी परिषद् और राजकोषीय अनुशासन की व्यवस्था को लागू किया था। यह बजट गरीबों को सशक्त बनाने और युवाओं को बेहतर भविष्य देने वाला है। इससे डिजिटल पेमेंट को प्रोत्साहन मिलेगा। गरीबों तक उनका हक सीधे पहुंचेगा। कृषि के बुनियादी ढांचे में निवेश के द्वारा अभूतपूर्व बदलाव किया जाएगा। जिससे किसानों की आमदनी दोगुनी हो सकेगी। रक्षा क्षेत्र के लिए करीब छह लाख करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है।

यह कुल बजट का आठ प्रतिशत है। बजट में रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर विशेष जोर दिया गया है.यह गांव, खेत खलिहान का बजट है। ग्रामीण आबादी के सर्वांगीण विकास के लिए बजट में प्रावधान किया गया है। इसमें शिक्षा, स्वास्थ, गरीबों के लिए मकान, मुफ्त में अनाज देने का जो प्रावधान है इससे ग्रामीण भारत का सर्वांगीण विकास होगा। डेढ़ सौ नर्सिंग कॉलेजों की स्थापना के निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि इससे अधिक से अधिक संख्या में चिकित्सा के क्षेत्र में भारत में मैन पावर की बढ़ोतरी होगी। यह नए भारत और स्वस्थ भारत के निर्माण में मददगार साबित होगा। दवा निर्माण पर सब्सिडी और इंसेंटिव सराहनीय है. पहले जब विदेशों से दवाइयां मंगाई जाती थीं तो जीवन रक्षक दवाइयों की कीमतें बढ़ जाती थी। अब जबकि भारत में निर्माण पर इंसेंटिव मिलेगा तो इससे भारत में उद्योग में भी बढ़ोतरी होगी और दवाइयों की कीमतें घटेगी। इलाज सस्ता होगा और स्वस्थ भारत के निर्माण में मदद मिलेगी। कुल मिलाकर देश के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए बहुत ही अच्छा बजट है। यह बजट विकासोन्मुखी है। मध्यम वर्ग,निम्न वर्ग और उद्योग जगत तीनों के लिए बजट नई संभावनाओं वाला है। बजट में प्रधानमंत्री आवास योजना का फंड छाछठ फीसदी बढ़ाया गया है। इससे अधिक से अधिक मकान का निर्माण होगा और गरीबों को रोजगार मिलेगा। इससे आवास निर्माण में जुटे उद्योग जगत को भी काम मिलेगा। इसके अलावा आधारभूत संरचना के लिये दस लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जो पिछले साल के मुकाबले तैतीस फीसदी ज्यादा है। यह देश के दूर गामी विकास में सबसे अधिक मददगार होगा।

आरआरआर : गोल्डन ग्लोब से ऑस्कर तक

किसी भी देश की आधारभूत संरचना जितनी विकसित होगी, वह देश आर्थिक तौर पर उतना ही विकसित होगा। भारत में लगातार इसका विकास हो रहा है, जिससे नए निवेश, उद्योग को बढ़ावा देने और रोजगार सृजन में मददगार साबित होने वाला है। लेह और लद्दाख में नई रेलवे लाइन निर्माण के लिए बीस लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जो देश के सुदूर क्षेत्रों में परिवहन और संपर्क बहाल करने में मील का पत्थर साबित होगा। इससे औद्योगिक घरानों को भी बेहद लाभ होने वाला है। साथ ही ग्रीन एनर्जी के लिए भी नया आवंटन किया गया है। कुल मिलाकर कहें तो यह बजट देश के आर्थिक विकास और मजबूती में बेहद मददगार साबित होने वाला है। मोदी सरकार जवान और किसान दोनों को प्राथमिकता देते हुए आत्मनिर्भर भारत की राह पर बढ़ रही है। इसमें किसानों की आय दोगुनी करना और भारत को रक्षा सामग्री का निर्यातक बनाने का मंसूबा शामिल रहा है। सरकार की पहलों में सकारात्मक संभावना नजर आती है, उम्मीद है कि भविष्य में इसके बेहतर परिणाम भी सामने आएंगे।

रिपोर्ट-डॉ दिलीप अग्निहोत्री

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