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चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से…..शराब की बिक्री से सोशल डिस्टेंसिंग तार-तार!

चतुरी चाचा अपने प्रपंच चबूतरे पर मुंशीजी व कासिम चचा के संग विराजमान थे। मैं जब पहुंचा तो कोरोना महामारी पर बतकही हो रही थी। आजकल चबूतरे पर कोई नहीं बैठता है। दो गज की दूरी बनाए रखने के लिए चबूतरे के चारों तरफ दूर-दूर कुर्सियां पड़ती हैं। एक कोने में पानी से भरी बाल्टी, मग, साबुन भी रखा रहता है। प्रपंच में शामिल होने के पहले सभी को साबुन से हाथ-पैर धोना होता है। प्रत्येक प्रपंची को मास्क पहने रहना भी अनिवार्य है। चतुरी चाचा पिछले महीने से लगातार मास्क और सेनिटाइजर वितरित कर रहे हैं। वह निःस्वार्थ भाव से गाँव के गरीबों को राशन भी दान करते हैं। चतुरी चाचा साधन सम्पन्न ग्रामीणों को प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री राहत कोष में दान करने के लिए निरंतर प्रेरित करते हैं।


चतुरी चाचा मेरे बैठते ही बोले- रिपोर्टर, कोरोना की अब क्या स्थिति है? आखिर इस लॉकडाउन से कब तक निजात मिल सकेगी? हमने कहा- चाचा, कोरोना से इतनी जल्दी निजात मिलने से रही। दुनिया के तमाम देशों में कोरोना का तांडव जारी है। अमेरिका, स्पेन, फ्रांस, इटली, जर्मनी, रूस इत्यादि विकसित देशों में मौतों का दर्दनाक सिलसिला चल रहा है। अकेले अमेरिका में ही अबतक 78 हजार लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है। दुनिया भर में करीब 40 लाख लोग कोरोना से पीड़ित हैं। विश्व में अबतक पौने दो लाख लोग काल कलवित हो चुके हैं। इन देशों में कोरोना का कहर देखते हुए अपने भारत में फिर भी गनीमत है। भारत में अभी तक कुल 60 हजार लोग ही कोरोना से पीड़ित हैं। तकरीबन 18 हजार मरीज स्वस्थ होकर घर भी पहुंच गए हैं। वहीं, कोरोना से करीब दो हजार मौतें हुई हैं।

मुंशीजी ने मेरी बात में जोड़ा- भारत में सही समय से लॉकडाउन हो गया था। इसी से कोरोना अन्य विकसित देशों की तर्ज पर नहीं फैला, किंतु अब यहां भी पैर पसार रहा है। पहले तब्लीगी जमाती और अब कोरोना प्रभावित शहरों से मजदूरों का गाँवों की तरफ प्रस्थान कोरोना संक्रमण को बढ़ा रहा है। महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली व तमिलनाडु में कोरोना का तांडव जारी है। वहीं, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना व पंजाब में भी कोरोना कहर बरपा रहा है। मोदी सरकार विदेश में फंसे सभी भारतीयों को वापस लाने का अभियान चला रही है। इसके लिए विशेष जहाज निरन्तर उड़ान भर रहे हैं। वहीं, विभिन्न राज्यों से प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए स्पेशल ट्रेनें चल रही हैं। इसके बाद भी लोग सैकड़ों किमी की दूरी पैदल तय करने पर आमादा हैं।

चतुरी चाचा ने कहा-,सरकार ने शराब की बिक्री को अनुमति देकर बड़ा गड़बड़ किया है। शराब के लिए सोशल डिस्टेंसिंग तार-तार हो गयी है। पहले दिन ही हमारे लखनऊ शहर में साढ़े छह करोड़ की शराब बिक गयी। यूपी में 300 करोड़ की दारू खरीदी गई। उस दिन दोपहर बाद दुकानों पर शराब खत्म हो गयी, किंतु शराब की मांग खत्म नहीं हुई थी। शराब की दुकानों के सामने 500 मीटर से लेकर 2-3 किमी लम्बी लाइनें लगी थीं। इन शराबियों से भी कोरोना संक्रमण बढ़ने के साथ लड़ाई-झगड़े भी बढ़ेंगे।


इसी बीच चंदू बिटिया गुनगुना नींबू पानी और तुलसी, अदरक, कालीमिर्च व दालचीनी वाला काढ़ा लेकर आ गयी। सबने पहले पानी पीया, फिर काढ़े के कुल्हड़ उठा लिये। मुंशीजी ने चंदू बिटिया से पूछा- बिटिया, तुम्हारी ऑन लाइन पढ़ाई चल रही है। चंदू सिर हिलाकर हां बोली और वहां से फुर्र हो गयी। हमने चतुरी चाचा से ककुवा व बड़के दद्दा के बारे में पूछा। उन्होंने बताया कि आज वह दोनों जन पाही पर अपने-अपने गेहूं की मड़ाई करवा रहे हैं। ककुवा ने रात में ही फोन करके बताया था कि इस बार वो लोग प्रपंच में शामिल नहीं हो सकेंगे। मौसम बार-बार खराब हो रहा है। इसलिए गेहूं की थ्रेसिंग करवाना बहुत जरूरी है।

कासिम चचा प्रपंच को आगे बढ़ाते हुए बोले- लोग लॉकडाउन का सही से पालन नहीं कर रहे हैं। साथ ही, शहरों से पलायन बराबर जारी है। अब तक अनेक मजदूरों की बीच रास्ते में मौत हो चुकी है। अभी शुक्रवार की भोर में ही 16 मजदूर मालगाड़ी से कटकर बेमौत मारे गए। वह सब महाराष्ट्र के औरंगाबाद से मध्यप्रदेश पैदल आ रहे थे। कोरोना के साथ आँधी, बारिश व ओलावर्ष्टि भी जीना मुहाल किये है। उधर, विशाखापट्टनम में एक प्लास्टिक फैक्ट्री से ज़हरीली गैस का रिसाव हो गया। उससे भी 10 लोग बेमौत मारे गए। एक हजार लोग उस गैस से पीड़ित हो गए। जाने क्यों अल्लाह नाराज है? पूरी दुनिया में हर तरफ तबाही का मंजर पेश आ रहा है।

चतुरी चाचा ने कहा- सारी दुनिया कोरोना से लड़ रही है। ऐसे में पाकिस्तान हमारी सीमा पर गोलाबारी करके आतंकवादियों को भारत में घुसेड़ने की असफल कोशिश कर रहा है। कश्मीर में आतंकी घटनाएं थम नहीं रही हैं। भारतीय सेना के रणबाँकुरे आतंकियों को मौत की नींद सुलाने में अहर्निश जुटे हैं। इस गुरिल्ला युद्ध में हमारे जवान भी वीरगति को प्राप्त हो रहे हैं। आखिर यह शैतान पड़ोसी चाहता क्या है? विगत कई वर्षों से पाक अपनी नापाक हरकतों को अंजाम देता आ रहा है। पाकिस्तान की डरपोक सेना सामने से लड़ने के बजाय आतंकियों के सहारे छद्म युद्ध लड़ रही है। अब भारत को चाहिए कि एक बार पाक को ललकार कर पीओके पर अपना कब्जा जमा लें। तभी पाकिस्तान अपनी बचकानी हरकतों से बाज आएगा।

इसी के साथ आज का प्रपंच समाप्त हो गया। पहली बार ककुवा और बड़के दद्दा के प्रपंच में शामिल न होने से तीखी और बेबाक बातें सुनने को नहीं मिलीं। भाई, मुझे तो ककुवा की अवधी भाषा का रसपान न होने से प्रपंच अधूरा सा लगा। खैर, मैंने जो सुना वह आप तक पहुंचा दिया। अब अगले रविवार को फिर मुलाकात होगी। तबतक के लिए पँचव राम-राम।

नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान
नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान

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