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विश्व पर्यावरण दिवस पर निरंकारी मिशन का संदेश: मानव अस्तित्व का मूलाधार है पर्यावरण

दया शंकर चौधरी

लखनऊ। जब हमारे दूरदर्शी संतों के द्वारा “वसुधैव कुटुम्बकम” का संदेश दिया गया था तो उनका उद्देश्य संपूर्ण मानव जाति के साथ साथ प्रकृति और पर्यावरण की संयुक्त इकाई की ओर संकेत करना भी था। प्रकृति और पर्यावरण हमारे अस्तित्व के मूलाधार हैं। सृष्टिकर्ता द्वारा रचित संपूर्ण सृष्टि का ध्यान रखना भी हमारा कर्तव्य है।

ये संदेश आध्यात्मिक मिशन संत निरंकारी मंडल की प्रमुख सदगुरु माता सुदीक्क्षा जी महाराज ने पर्यावरण दिवस के अवसर पर दिया है। उन्होने कहा है कि प्रकृति और पर्यावरण की देखभाल करना मानव समाज को बचाये रखने की दिशा में बढ़ाया गया एक सार्थक कदम हो सकता है। सद्गुरू माता सुदीक्क्षा जी ने अनुयायियों से आग्रह किया है कि पर्यावरण संरक्षण के लिए लगाये गये पौधों की निरंतर निगरानी करते रहना चाहिए।

बताते चलें कि इसी वर्ष 23 फरवरी को निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी का 67वां जन्म दिवस निरंकारी मिशन ने गुरु पूजा दिवस के रूप में मनाया था। जिसके चलते एक देशव्यापी वृक्षारोपण अभियान चलाया गया था। निरंकारी मिशन के लखनऊ शाखा के जोनल इंचार्ज रीतेश टंडन ने इस संबंध में बताया कि मिशन का संदेश है कि वृक्ष लगाकर हम न केवल आज की पीढ़ी बल्कि आने वाली पीढ़ी को भी सुखमय जीवन की सौगात दे सकते हैं। पौधे लगाने से बढ़ते प्रदूषण से निजात मिल पाएगी। उन्होंने कहा कि पेड़ लगाए जाने से हमें शुद्ध हवा मिलती है। हमें अधिक से अधिक लोगों को पौधे लगाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

साथ ही उन्होंने हर एक अनुयायी से एक-एक पेड़ लगाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से इस अभियान को साधारण तरीके से शुरू किया गया है। उन्होंने बताया कि लखनऊ सहित पूरे यूपी में ये पौधा रोपण अभियान चलाया जा रहा है और सभी इस अभियान में बढ़-चढ़ कर भाग ले रहे हैं। उल्लेखनीय है कि बाबा हरदेव सिंह का जन्म 23 फरवरी 1954 को दिल्ली में हुआ था।

निरंकारी मिशन का संक्षिप्त इतिहास: आध्यात्मिक विचारधारा के रूप में संत निरंकारी मिशन का आरंभ 25 मई, 1929 को सरल जीवन और निराकार ईश्वर में पूर्ण आस्था रखने वाले बाबा बूटा सिंह जी ने पेशावर (पाकिस्तान) में किया। मिशन का तत्कालीन लक्ष्य भक्तों को यह बताना था कि ईश्वर की अनुभूति की जा सकती है और जब तक हम इस परम सत्य की अनुभूति नहीं करते तब तक हमारे द्वारा किए जा रहे कर्मकाण्ड निरर्थक हैं।

बाबा बूटा सिंह नश्वर शरीर को त्याग कर 1943 में ब्रह्मलीन हो गए। उनके उत्तराधिकारी बाबा अवतार सिंह, जो उनके साथ निरंतर रहा करते थे, ने वर्ष 1947 में पाकिस्तान से भारत आने के उपरांत मिशन को एक सुदृढ़ प्रबंध व्यवस्था प्रदान की। उन्होंने संत निरंकारी मंडल की जिम्मेदारी संभाली। जिसके फलस्वरूप मिशन द्वारा नियमित रूप से सत्संग आयोजित किए जाने लगे और मिशन की गतिविधियां सुचारु रूप से चलने लगीं। मिशन की विचारधारा की कुंजी जानी जाने वाली ‘सम्पूर्ण अवतार बाणी’ उनकी अनुपम एवं चिरस्थायी देन है।

वर्ष 1962 में बाबा अवतार सिंह ने एक साधारण प्रचारक के रूप में सेवा करने का निर्णय लिया और बाबा गुरबचन सिंह सद्गुरु के रूप में प्रकट हुए। बाबा गुरबचन सिंह मिशन को जनसाधारण और उनके दैनिक जीवन के अत्यंत समीप ले आए। इस प्रकार मिशन का न केवल विस्तार हुआ बल्कि वह अपने आध्यात्मिक संदेश के साथ-साथ साम्प्रदायिक सद्भाव, सामाजिक एकता तथा राष्ट्रीय स्थिरता की स्थापना के लिए एक सशक्त माध्यम के रूप में भी कार्य करने लगा।

वर्ष 1980 से संत निरंकारी मिशन का बाबा हरदेव सिंह जी महाराज के आध्यात्मिक मार्गदर्शन में चौमुखी विकास हुआ। सद्गुरु बाबा जी के अनुसार आध्यात्मिक जागरूकता मानव एकता, सहअस्तित्व तथा विश्व समृद्धि का एक अचूक साधन है। विश्व बंधुत्व यहां केवल स्वप्न ही नहीं है बल्कि प्राप्त करने योग्य लक्ष्य है। आज मिशन की 2500 से भी अधिक शाखाएं हैं जिनमें से लगभग 200 दूर देशों में हैं। इसी तरह विश्व में लगभग 650 सत्संग भवन हैं जहां नियमित रूप से सत्संग होता है।

क्या है निरंकारी मिशन और इसकी विचारधारा: मिशन के अनुसार ‘एक पिता एकस के हम बालक ’ के आधार पर सुंदर संसार की स्थापना के लिए मानव की लालसाओं और इच्छाओं को अनुशासित करके आध्यात्मिक मूल्यों और सिद्धांतों के आधार पर नियंत्रित करना होगा। एक परिपूर्ण समाज की स्थापना के लिए मानव की आध्यात्मिक एवं भौतिक आवश्यकताओं के बीच तालमेल और रचनात्मक, उत्पादक और आविष्कारिक कौशलता को बढ़ावा देना आवश्यक है।

मिशन द्वारा किए जाने वाले समाज कल्याण कार्य: संत निरंकारी मिशन का मुख्य उद्देश्य तो आध्यात्मिक जागरूकता के माध्यम से श्रद्धालु भक्तों के जीवन में सुंदरता लाना ही है। परंतु फिर भी यह अपनी मुख्य गतिविधियों में से कुछ साधन बचा कर समाज कल्याण के कार्य करता है। सन 2010 से मिशन की सभी समाज कल्याण की गतिविधियां संत निरंकारी चैरिटेबल फाउन्डेशन द्वारा समाज कल्याण विभाग तथा मिशन की विभिन्न शाखाओं के सहयोग से संपन्न की जाती हैं। संत निरंकारी सेवादल के भाई-बहन मिशन की धारणा, कि मानवता की सेवा ईश्वर भक्ति का एक अनुपम माध्यम है का एक प्रभावशाली उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। इसलिए सेवा दल की वर्दी पहने ये महिलाएं और पुरूष समागमों और सत्संग कार्यक्रमों के दौरान ही व्यवस्था नहीं करते बल्कि देश में प्राकृतिक आपदाओं के समय में भी अन्य श्रद्धालु भक्तों के साथ मिल कर राहत कार्यों में योगदान देते हैं।

स्वच्छता अभियान एवं पौधारोपण: हर वर्ष 23 फरवरी को सद्गुरु बाबा हरदेव सिंह महाराज के जन्म दिवस पर संसार भर में पौधारोपण और स्वच्छता अभियान चलाए जाते हैं। हाल ही में संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन ने हरित दिल्ली अभियान में भाग लिया। जिसमें मिशन के 30,000 सेवादारों ने, जो कि कुल प्रतिभागियों का 75 प्रतिशत थे, एक दिन में एक लाख पौधे लगाए। सन 2015 के सितम्बर माह से मुंबई के नैशनल पार्क में एक लाख पौधे लगाने और उनकी देखभाल करने की जिम्मेदारी फाउंडेशन ने ली है। एक स्थानीय विधायक द्वारा महाराष्ट्र सरकार के सामुदायिक विकास के लिए स्वीकृत किए गए स्वच्छता अभियान के अंतर्गत देश भर में अनेक गांव-खेड़े, बस्तियां, दवाखाने, रेल स्थानक, पाठशालाएं, स्मशान घाट इत्यादि अनेक सार्वजनिक स्थलों की सफाई हर वर्ष की जा रही है।

स्वच्छ रेल- स्वच्छ भारत अभियान: मिशन के अनुयायियों में मानवता की सेवा के प्रति उत्साह की सराहना करते हुए रेल मंत्री ने सद्गुरु बाबा हरदेव सिंह महाराज को पत्र लिखकर 2 अक्टूबर, 2015 को ‘स्वच्छ रेल – स्वच्छ भारत’ अभियान में भाग लेने का आग्रह किया। सद्गुरु बाबा जी ने इसे स्वीकृती प्रदान करते हुए देश के 46 रेलवे स्टेशनों को न केवल 2 अक्टूबर को ही सफाई अभियान चलाने का जिम्मा लिया बल्कि उसके उपरांत भी साल भर महीने में एक बार सफाई करने का संकल्प लिया जो अब तक जारी है।

प्राकृतिक आपदाओं में राहत एवं पुनर्वास कार्य: प्राकृतिक आपदाओं एवं मानवनिर्मित बम विस्फोटों जैसी दुर्भाग्यपूर्ण आपदाओं के समय संत निरंकारी मिशन के सेवादार राहत कार्य में हमेशा अग्रसर रहे हैं। कुछ वर्ष पूर्व गुजरात के भुज में आए हुए भूकंप के दौरान मिशन द्वारा जहां राहत कार्य किया वहां पुनर्वास के तौर पर एक रिहायशी कालोनी बना कर दी। महाराष्ट्र के लातूर जिले में आया भूकंप हो, चेन्नई में आई सुनामी की आफत हो या उत्तराखंड एवं जम्मू कश्मीर में आए बाढ़ की आपदाएं हों, अथवा आंध्र प्रदेश में आए हुए चक्रवात तुफ़ान हो, संत निरंकारी मिशन ने हर अवसर पर राहत एवं पुनर्वास कार्यों में अपना सराहनीय योगदान दिया है। मुंबई के बम विस्फोट की आपदा के समय मिशन के सेवादारों ने विशेष रक्तदान शिविर लगा कर आपदाग्रस्तों की सहायता की है।

राष्ट्रीय योगदान: जब जब भी देश पर संकट के बादल मंडराने लगे तब तब निरंकारी मिशन ने अपनी राष्ट्रभक्ति का परिचय देते हुए अपना योगदान दिया है। भारत-चीन के युद्ध के समय जब स्वयंसेवी संस्थाओं को राष्ट्रीय सुरक्षा कोष में योगदान देने का आह्वान किया गया तब मिशन द्वारा निधि प्रदान की गई। इसी प्रकार से कारगिल के युद्ध में घायल सैनिकों के वैद्यकीय चिकित्सा के लिए अत्याधुनिक उपचार करने वाला एक उपकरण मिशन द्वारा दिया गया है जो निरंतर सेना के जवानों की सेवा में योगदान देता रहेगा।

संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा विशेष सलाहकार का दर्जा: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिशन के समाज कल्याण कार्यों को देखते हुए एवं मानव जीवन का स्तर बढ़ाने में मिशन के द्वारा दिए जा रहे असाधारण योगदान के कारण गैर-सरकारी संगठन के रुप में संत निरंकारी मंडल को सन 2012 में विशेष सलाहकार का दर्जा प्रदान किया गया है।

रक्तदान में देश का अग्रणी संगठन: संत निरंकारी मिशन आज भारत की स्वेच्छा से रक्तदान करने वाली अग्रिम संस्थाओं में से एक है। मिशन द्वारा पहला रक्तदान शिविर नवम्बर, 1986 में दिल्ली में आयोजित किया गया था। वर्ष 1987 से इन शिविरों का आयोजन “बाबा गुरबचन सिंह और मिशन के सैकड़ों अन्य श्रद्धालु भक्तों, जिन्होंने सत्य, प्रेम, शांति और मानव एकता हेतु जीवन का बलिदान दिया” की याद में अप्रैल माह में ‘मानव एकता दिवस’ के अवसर पर किया जाता है। वर्ष 1987 से यह शिविर अप्रैल से सितम्बर तक गर्मियों के महीनों में आयोजित किए जाने लगे , क्योंकि इस अवधि में ब्लड-बैंकों में रक्त की प्राय: कमी होती है। वर्ष 2009 से ये शिविर 24 अप्रैल से आरंभ हो कर साल भर आयोजित किए जाते हैं। मिशन के द्वारा अब तक 4426 रक्तदान शिविर लगाए जा चुके हैं। जिनमें 7,71,107 युनिट रक्तदान किया गया है। उल्लेखनीय है कि 7 जनवरी, 2014 के दिन जे जे महानगर रक्तपेढी में आयोजित समारोह में जिन 10 प्रमुख रक्तदाता संस्थाओं को सम्मानित किया गया उनमें संत निरंकारी मिशन का नाम प्रथम स्थान पर था। महाराष्ट्र के मुख्य मंत्री जी की उपस्थिति में मिशन को एक ट्रॉफी द्वारा गौरवान्वित भी किया गया था।

स्वास्थ्य संरक्षण सेवा: मिशन 4 अस्पताल और 144 धर्मार्थ औषधालय चला रहा है। अस्पताल दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, और आगरा में हैं। जबकि औषधालय लखनऊ सहित देश भर में फैले हुए हैं। मिशन के द्वारा दिल्ली में 1250 बिस्तरों वाला एक सुपर स्पेशियालिटी अस्पताल बनाया जा रहा है जिसे संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन संचालित करेगा। मिशन समय-समय पर नेत्र चिकित्सा, मोतियाबिंद आपरेशन, स्वास्थ्य जांच, हृदय रोग जांच, रक्त की कमी की जांच शिविरों का आयोजन भी किया करता है।

महिलाओं को स्वावलम्बी बनाने की दिशा में भी कार्य किया जा रहा है। इसके तहत विधवा एवं अन्य जरुरतमंद महिलाओं के लिए मिशन द्वारा निःशुल्क 91 सिलाई-कढ़ाई प्रशिक्षण केन्द्र भी देश भर में चलाये जा रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में मिशन सोहना (हरियाणा) में एक कॉलेज तथा दिल्ली और अन्य स्थानों पर 24 स्कूल चला रहा है। इसी तरह से मिशन द्वारा 9 पुस्तकालय भी चलाए जा रहे हैं।

नशाबंदी एवं सामूहिक शादियां: यद्यपि अध्यात्म के दृष्टिकोण से मिशन की मान्यता है कि मानव का खान-पान जलवायु पर निर्भर है और इसका आत्मा से कुछ भी सम्बंध नहीं है। परंतु यह अपने भक्तों को मादक पदार्थों के सेवन से संकोच करने को कहता है। क्योंकि उनका सेवन सामाजिक बुराइयों को जन्म देता है। आज देश-विदेश में रह रहे लाखों निरंकारी भक्त नशामुक्त जीवन जी रहे हैं। मिशन शादियों तथा अन्य सामाजिक कार्यक्रमों के अवसर पर मितव्ययता बरतने पर बल देता है। दहेजमुक्त शादियों को प्रोत्साहित करने के लिए मिशन समय-समय पर सामूहिक विवाह कार्यक्रम भी आयोजित करता रहता है। दिल्ली और मुंबई में तो सामूहिक विवाह वार्षिक संत समागम का एक नियमित अंग बन चुके हैं। प्रति वर्ष समागम के अगले दिन सामूहिक विवाह आयोजित किए जाते हैं।

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