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नया – पुराना

ओटेरी सेल्वा कुमार

नया – पुराना

आज नया हो रहा है
कल बूढ़ा हो जाएगा
यह आज नया है
नया और पुराना
कोई बड़ा अंतर नहीं है
दादाजी बूढ़े हैं
पोता नया है
यह पीढ़ी, यही अंतराल है
नया … पुराना … वह
भेद करने के अलावा
जीवन हमेशा नया होता है
जिसे समझना मुश्किल है
हर दिन कुछ नया … पैदा होता है
मरते हुए बूढ़े…।

ओटेरी सेल्वा कुमार

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