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सबरीमाला में महिलाओ की एंट्री के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज करेगा सुनवाई

सबरीमाला मामले में सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की पीठ आज से महिला की एंट्री के खिलाफ दी याचिका पर सुनवाई करेगी। सबरीमाला मामले में पिछले साल गठित विश्वास बनाम अधिकार बहस से संबंधित मुद्दों पर सुनवाई को तैयार हो गया था।

इस मामले पर पांच न्यायाधीशों की समीक्षा पीठ ने 3/2 के फैसले से आदेश भी दिया था। जिसमें अनुच्छेद 25 और 26 के बीच अंतर्संबंध के संबंध में धर्म के प्रचार और स्वतंत्रता के अधिकार और अन्य मौलिक अधिकार थे।

सबरीमाला के अयप्पा मंदिर में महिलाओं की एंट्री को लेकर विवाद रहा है। कोर्ट के फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिकाओं पर सुनवाई सीजेआई एसए बोबड़े के नेतृत्व में 9 न्यायाधीशों की बेंच में न्यायमूर्ति बनुमथी, जे अशोक भूषण, जे एल नागेश्वर राव, जे एम एम शांतनुगौदर, जे एसए नज़ीर, जे आर एस रेड्डी, जे बीआर गवई और जे सूर्यकांत करेंगे।

सबरीमाला मंदिर को लेकर कुछ तथ्य…

1990 में केरल हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर सबरीमाला मंदिर के अंदर महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। उसके एक साल बाद कोर्ट ने भगवान अयप्पा के पवित्र मंदिर के अंदर कुछ उम्र के प्रवेश की महिलाओं के प्रतिबंध को बरकरार रखा जिसें 10 साल और 50 साल की महिलाएं शामिल थीं।

2006 में भारतीय युवा वकील एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में 10 से 50 साल के बीच की महिलाओं के प्रवेश की याचिका दायर की गई। जिसपर साल 2008 में दो साल बाद तीन न्यायाधीशों की पीठ के पास मामला भेजा गया।

उसके बाद जनवरी 2016 में कोर्ट ने प्रतिबंध पर सवाल उठाते हुए कहा था कि यह संविधान के तहत नहीं किया जा सकता है। फिर अप्रैल 2016 में मुख्यमंत्री ओमेन चांडी के नेतृत्व वाली केरल की संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार ने एससी को सूचित किया कि वह सबरीमाला भक्तों के धर्म का पालन करने के अधिकार की रक्षा के लिए बाध्य है।

इसी दौरान केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वह मंदिर के गर्भगृह के अंदर महिलाओं को अनुमति देने के पक्ष में थी। लेकिन अगले साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले को संविधान पीठ को भेजा। सितंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने श्रद्धालु मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दी।

लेकिन राज्य सरकार ने फैसले को लागू करने के लिए समय मांगा। हालांकि प्रवेश की अनुमति के बाद भी बड़ी संख्या में अनुयायियों ने धर्मस्थल के बाहर प्रदर्शन किया। जो सभी उम्र की महिलाओं की एंट्री को रोकती है।

इसके बाद फरवरी 2019 में कोर्ट ने आदेश को सुरक्षित रखा था। आदेश को 2018 के आदेश को बनाए रखने या अलग करने की संभावना है। उसके बाद कोर्ट महिलाओं के एंट्री की इजाजत दी लेकिन इसके खिलाफ अब कोर्ट में फैसले के खिलाफ याचिका दी।

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