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Tag Archives: नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान

चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से…युह शनिवार ऐतिहासिक होय गवा

आज सुबह जब प्रपंच चबूतरे पर पहुंचा तो वहां सन्नाटा था। मौसम बेहद सर्द था। ठंड से हड्डियाँ कांप रही थीं। कोहरा घना होने के कारण चबूतरे से थोड़ी दूर पर भी कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। तभी चतुरी चाचा की कड़क आवाज सुनाई दी। रिपोर्टर, अयसी मड़हम निकरि ...

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चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से…ई बखत ठंड ते जो मुरचा लेई, उई बीमार तौ होइबै करि!

आज सुबह हवा में मानो बर्फ बह रही थी। ठंड से हड्डियां कम्पकम्पा रही थी। साथ ही, घना कोहरा था। दस मीटर के आगे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। सड़क पूरी तरह से नहाई हुई थी। पेड़-पौधों से बराबर पानी टपक रहा था। मैं बड़ी हिम्मत करके खुले ...

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चतुरी चाचा…कृषि कानून का लयके विपक्षी पार्टियां अपनी रोटी सेंकय मा लागि हयं!

चतुरी चाचा ने आज प्रपंच चबूतरे पर पहुंचते ही मुझे हाँक लगाई। मैं भी उनके अच्छे पड़ोसी की तरह तुरन्त चबूतरे पर पहुंच गया। चतुरी चाचा बोले- का हो रिपोर्टर भूलि गयो। आजु प्रपंच ककुवा केरे मड़हा मा होय का हय। चलो हुवाँ सब जने राह देखि रहे होइंहै। हम ...

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चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से…विपक्षी दलों ने किसानों को बरगला दिया है!

चतुरी चाचा आज बड़े खुश दिख रहे थे। मुंशीजी व कासिम चचा उन्हें घेरे बैठे थे। तीनों जन कोरोना पर बात कर रहे थे। मेरे पहुंचते ही बोले- रिपोर्टर, कोरोना से मुक्ति पाने की घड़ी करीब आ रही है। भारत में भी कुछ हफ्तों बाद कोरोना का टीका लगना शुरू ...

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चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से…जब तलक टीका न आय जाय, तब तलक सावधानी बरती जाए

आज चतुरी चाचा अपने प्रपंच चबूतरे पर चिंतन मुद्रा में बैठे थे। चबूतरे पर कुछ मॉस्क और सेनिटाइजर की शीशी रखी थीं। एक कोने पर बाल्टी में पानी, मग व साबुनदानी भी रखी थी। चबूतरे के आसपास कुछ दूरी पर प्लास्टिक कुर्सियाँ पड़ी थीं। मेरे पहुंचते ही वह बोले- पूरे ...

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चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से…अबकी दिवारिम पड़ाका नाय दगे

चतुरी चाचा आज 56 इंच का सीना तानकर कर बैठे थे। उनके बगल में मिठाई का एक डिब्बा भी रखा था। मेरे प्रणाम करते ही बोले-रिपोर्टर, देखा मेरी भविष्यवाणी। मेरी दोनों बातें सच साबित हुई। तभी कासिम चचा व मुंशीजी आ गए। दोनों लोगों ने आते ही चतुरी चाचा को ...

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चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से…चुनाव की चिल्ल-पों के आगे कोरोना महामारी और बलात्कार की घटनाएं ठंडे बस्ते में!

आज प्रपंच चबूतरे पर चतुरी चाचा के साथ मुंशीजी व कासिम चचा पहले से ही जमे थे। वह लोग मेरा, ककुवा व बड़के दद्दा का इंतजार कर रहे थे। मेरे पहुंचते ही चतुरी चाचा बोले-रिपोर्टर, तुमको सबसे पहले आना चाहिए। देखो ये लोग पच्छे टोला से आ गए। हमने उन्हें ...

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चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से…आजकल टीवी चैनल खुद सारे मामले की जाँच कर रहे हैं!

मैं जब प्रपंच चबूतरे पर पहुंचा, तब चतुरी चाचा गांव की बड़को चाची व नदियारा भौजी से प्रपंच करने में जुटे थे। चतुरी चाचा उनसे खेती-बाड़ी की बातें करते हुए पूछा- बड़को भउजी, तुमार धान कटिगे। धान केरी मड़ाई कब होई। बड़को बोली- चतुरी भईया, गांवक तरे वाले खेतवा मा ...

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चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से… सदन की मर्यादा को तार-तार कर दिया!

मैं आज चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे पहुंचा तो चाचा नदारत थे। ऐसा पहली बार हुआ कि प्रपंच चबूतरे पर सबसे पहले चतुरी चाचा न पहुंचे हों। खैर, मैं अख़बार पढ़ने लगा। तभी चाचा प्रकट हो गए। वह अपने स्थान पर विराजमान हो गए। मेरे बिना कुछ पूछे बताने लगे ...

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चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से…अब पतरकार रिया को छोड़ कोरोउना महब्याधि कय बारे मा बतावैं!

चतुरी चाचा अपने प्रपंच चबूतरे पर विराजमान थे। चबूतरे के आसपास पड़ी कुर्सियों पर मुंशीजी, कासिम चचा बैठे थे। मैंने सबको राम जोहारि की। फिर प्रपंच चबूतरे के एक कोने पर बैठ गया। सब लोग बड़के दद्दा व ककुवा का इंतजार कर रहे थे। तभी पच्छेहार से बड़को बुआ व ...

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