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बिधूना में विधिक जागरूकता कार्यक्रम का हुआ आयोजन, महिलाओं के अधिकार व कानून की दी गयी जानकारी

औरैया/बिधूना। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकारण एवं राष्ट्रीय महिला आयोग के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय महिला सप्ताह के उपलक्ष्य में विधिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में महिलाओं के अधिकार व कानून के बारे में जानकारी देने के साथ प्रोजेक्टर के माध्यम से भी जागरूक किया गया।

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विधिक जागरूकता कार्यक्रम

तहसील सभागार में शुक्रवार को आयोजित विधिक जागरूकता कार्यक्रम में जिला विधिक सेवा प्राधिकारण की सचिव स्वाती चन्द्रा ने कहा कि हमारे संविधान में महिलाओं को बहुत से ऐसे अधिकार दिये गये हैं। जिससे महिलाएं सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें।

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उन्होने कहा कि संविधान में हमें शिक्षा, समानता के साथ पारिश्रमिक अधिकार दिया गया है। जिससे महिलाएं घर से बाहर निकलकर स्वाबलंबी हो सके। कहा कि महिलाओं को रोजगार मिलने से वह आर्थिक रूप से स्वंतत्र होती है। जो अंदर से हमें कान्फिडेंस देती है।

विधिक जागरूकता कार्यक्रम

कहा कि अभी भी महिलाओं को आर्थिक स्थिति के लिए कोशिश करनी पड़ती है व जूझना पढता है। साथ ही उन्होने कहा कि जो हम लोगों को अधिकार दिये गये है, उनका इस्तेमाल करना चाहिए। कहा कि अभी भी कई महिलाएं बाहर कुछ न कुछ परेशानियों से जूझ रही है।

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चाहे वो लोगों की छेडछाड हो, आसपास के लोगों के ताने हो। लोगो की ऐसी निगाहों से रूबरू होना पड़ता है जो हमें अच्छी नहीं लगती है। हमारे जो अधिकार है वो पूरी तरीके से मिलने चाहिए वो हमें कही न कही मिल नही पा रहे है।

विधिक जागरूकता कार्यक्रम

उपजिलाधिकारी लवगीत कौर ने कहा कि हम सशक्त हैं। अगर हम आर्थिक रूप से और सशक्त हो जाएं तो हम लोग अपनी आधी समस्याएं स्वयं समाप्त कर लेंगे। कहा कि मां हमारे घर की सूत्रधार है। जिन महिलाओं की बच्चियां छोटी है वह अपने बच्चों से खुलकर बात करें।

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नायब तहसीलदार प्रतिभा पाल ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत 1908 में न्यूयॉर्क से हुई थी। इसके बाद 1975 से बराबर मनाया जा रहा है। कहा कि महिलाओं की गरिमा और सम्मान के समस्त अधिकार उनके पास ही हैं। आप स्वयं महिला सशक्तिकरण का जरिया है।

विधिक जागरूकता कार्यक्रम

महिला कल्याण अधिकारी वंदना शर्मा ने कहा कि महिला अपने आप में स्वयं शक्तिशाली है। उसे किसी विशेष दिवस की आवश्यकता नहीं है। शिक्षा महिला का मौलिक अधिकार है। महिला विचार प्रदायिनी है। कहीं ना कहीं विचारों में तालमेल ना बैठने की वजह से ही घरेलू हिंसा पनपती है। इसलिए अपने विचारों को उत्तम रखें।

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एडीजीसी संजीव सेंगर ने कहा कि बाल्यावस्था से लेकर वृद्धावस्था तक हमारी बहन बेटी की अनदेखी ना हो इसलिए सरकार कानून लेकर आती है और जरूरत पड़ने पर में संशोधन भी करती है।

इस मौके पर महिलाओं के अधिकारों से संबंधित एक डाक्यूमेंट्री प्रोजेक्टर पर प्रर्दशित कर उन्हें जागरूक किया गया। इसके अलावा कामकाजी महिलाओं से संबंधित कानून के विवरण वाली एक बुकलेट्स सभी को वितरित की गयी।

इससे पूर्व अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। कार्यक्रम में नायब तहसीलदार पियूष शाहू, डीजीसी अभिषेक मिश्रा, अतुल मिश्रा, विद्या सेंगर, ममता देवी के अलावा बड़ी संख्या में महिलाएं मौजूद रहीं।

रिपोर्ट – संदीप राठौर चुनमुन

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