महाराष्ट्र (Maharashtra) में सरकार बनाने को लेकर सस्पेंस अभी तक बना हुआ है, लेकिन महाराष्ट्र में सत्ता पाने के लिए जिस तरह का गठबंधन बनने जा रहा है, उससे सबको हैरानी हो रही है।
शिवसेना (Shiv Sena), भाजपा (BJP) का साथ छोड़कर एनसीपी (NCP) व कांग्रेस पार्टी (Congress) से हाथ मिलाने जा रही है। शरद पवार, शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे व कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के बीच मध्यस्थ की किरदार निभा रहे हैं।
कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को पार्टी के बड़े नेताओं के साथ दिल्ली में राय मशविरा किया। उन्होंने महाराष्ट्र के नए चुने कांग्रेस पार्टी विधायकों से भी राय ली है। महाराष्ट्र के कांग्रेस पार्टी विधायक जहां कांग्रेस पार्टी को गठबंधन में शामिल होने की सलाह दे रहे हैं, वहीं दिल्ली में कांग्रेस पार्टी के सीनियर लीडर इस गठबंधन से हिचक रहे हैं। शिवसेना की सरकार को कांग्रेस पार्टी का समर्थन किसी के गले नहीं उतर रहा है। हालांकि इस तरह के गठबंधन के कई उदाहरण मिल जाते हैं।
कांग्रेस व भाजपा तक में हो चुका है गठबंधन
सबसे ज्यादा दंग करने वाला एक गठबंधन तो कांग्रेस पार्टी व भाजपा के बीच ही हो चुका है। इसकी बाकायदा मिसाल दी जा सकती है। मिजोरम में चकमा स्वायत्त जिला परिषद के गठन के लिए कांग्रेस पार्टी व भाजपा के बीच गठबंधन हो चुका है।
चकमा स्वायत्त जिला परिषद के 20 सदस्यों के लिए 2018 में चुनाव हुए थे। इस चुनाव में नॉर्थ इस्ट में भाजपा की सहयोगी पार्टी मिजो नेशनल फ्रंट सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। मिजो नेशनल फ्रंट के 8 मेम्बर चुने गए, कांग्रेस पार्टी के 7 व भाजपा के 5 उम्मीदवार विजयी रहे।
इसके बाद जिला परिषद पर कब्जे के लिए कांग्रेस पार्टी व भाजपा के बीच चुनाव बाद गठबंधन हुआ। कांग्रेस पार्टी के लोकल नेताओं ने इस मामले में दिल्ली के सीनियर लीडर्स से बात की। कांग्रेस पार्टी के लोकल नेता इस गठबंधन को उचित मान रहे थे। जबकि केंद्रीय नेतृत्व ने भाजपा के साथ इस पैक्ट को छुपाने के लिए उसका ऐलान नहीं किया। मसले को लोकल स्तर पर सुलझाते हुए कांग्रेस पार्टी भाजपा का गठबंधन बना।
चकमा स्वायत्त जिला परिषद में कांग्रेस पार्टी भाजपा की सरकार बनी। अगस्त 2019 में कांग्रेस पार्टी के 3 मेम्बर भाजपा में शामिल हो गए। हालांकि बाद में एक मेम्बर ने पार्टी से त्याग पत्र दे दिया व इस तरह भाजपा के सदस्यों की संख्या 7 हो गई।