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मणिपुर में हिंसा थमने का नहीं ले रही नाम, अब महिलाओं ने खोल दिया मोर्चा, पढ़े पूरी खबर

णिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। दूसरी तरफ अब राज्य में महिलाएं मैदान में उतर चुकी हैं। रविवार को सेना ने बताया था कि महिलाओं की भीड़ ने उग्रवादी संगठन कांगलेई यावोल कान्ना लुप के 12 सदस्यों को छोड़ने पर मजबूर कर दिया। मौके पर 1200 से 1500 महिलाएं इकट्ठा थीं और उन्होंने कह दिया था कि सेना यहां से एक भी शख्स को लेकर नहीं जा सकती।

सेना ने ट्वीट कर बताया था कि कांगपोकपी और यैनगांगपोकपी में जवानों का रास्ता बंद कर दिया गया और उन्होंन उन लोगों तक पहूंचने ही नहीं दिया गया जो कि अवैध हथियार लेकर फायरिंग कर रहे थे। वहीं गुरुवार को सीबीआई टीम को मणिपुर पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज में प्रवेश करने से रोक दिया गया था। टीम हथियारों की लूट के बारे में जांच करने पहुंची थी।

बता दें कि मणिपुर में हो रही हिंसा में कम से कम 115 लोगों की मौत हो गई है। सरकारी एजेंसियां यहां शांति बहाल करवाने की कोशिश में लगी हैं। वहीं कुकी और मैतेई दोनों ही समुदाय की महिला प्रदर्शनकारियों ने कई रास्तों को बाधित कर दिया है और जरूरी सामान की सप्लाई रोक दी है। सरकार के खिलाफ भी महिला प्रदर्शनकारी सड़कों पर आ गई हैं। बता दें कि मणिपुर की हिंसा को लेक दिल्ली में भी दो बार प्रदर्शन हुए और दोनों ही महिलाओं ने किए थे।

दो नुपी लान (महिलाओं का युद्ध) हुए हैं। पहला 19-4 में और दूसरा 1939 में। 1891 के ऐंग्लो-मणिपुर वॉर के बाद ही प्रदेश ब्रिटिश राज में आया था। पहले नुपी लान में महिलाओँ ने बड़ी भूमिका निभाई थी। ब्रिटिश अधिकारी हेनरी सेंट पैट्रिक मैक्सवेल ने पुरुषों के लिए हर 30 दिन के बात 10 दिन की फ्री मजबूरी करने का नियम लगा दिया था। इसके बाद महिलाओं ने मोर्चा खोला और मैक्सवेल के ऑफिस तक मार्च किया। जब इन महिलाओं के आगे अंग्रेजों की नहीं चली तो उन्होंने अपना आदेश वापस ले लिया।

मणिपुर में हर मामले में ही महिलाएं आगे रहती हैं। इंफाल में इमा कैथेल (माताओं की बाजार) में हर उम्र की महिलाएं ही सामान बेचती हैं। इसे दुनयिा की सबसे बड़ी मार्केट का दर्जा मिला है जिसमें की कमान महिलाओं के हाथ में है। यहां 3 से 5 हजार महिलाएं अपने उत्पाद बेचती नजर आ जाएंगी। यह बाजार पर्यटकों को भी बहुत पसंद आता है। वहीं राज्य में अब तक जितने आंदोलन हुए हैं उनमें महिलाएँ ही आगे रही हैं।

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