● प्रसव पूर्व देखभाल वाली महिलाओं के लिए चारों जाँचे हैं जरूरी
● गर्भवती महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य व संतुलित आहार हेतु किया गया जागरूक
● 974 गर्भवती में 43 उच्च जोखिम गर्भावस्था वाली महिलाओं को किया चिन्हित
औरैया। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) के तहत बुधवार को जिला अस्पताल एवं ब्लाक स्तरीय चिकित्सालयों में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस का आयोजन किया गया। इसमें दूसरे व तीसरे माह की गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। हीमोग्लोबिन, शुगर, एचआईवी ब्लड प्रेशर समेत तमाम जांचें निःशुल्क हुईं।
समस्त केंद्रों में पीएमएसएमए के लाभार्थियों की ग्रुप काउंसलिंग की गई। संस्थागत प्रसव के फायदे बताकर उन्हें संस्थागत प्रसव करवाने के लिए प्रेरित किया गया। अल्ट्रासाउंड, पेट, वजन, खून, पेशाब इत्यादि की मुफ्त जाचें हुईं। जिला सामुदायिक प्रक्रिया प्रबंधक (डीसीपीएम)अजय ने बताया कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान भारत सरकार की एक पहल है, जिसके तहत हर महीने की 9 तारीख को गर्भवती महिलाओं की पूर्ण जाँच की जाती है। इसके द्वारा यह पता लगाया जाता है कि कहीं कोई गर्भवती महिला उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था में तो नहीं है।
जिला मातृ स्वास्थ्य परामर्शदाता अखिलेश कुमार ने बताया कि इसके तहत जिला अस्पताल सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में गर्भवती महिलाओं को विशेष सुविधाएं दी गईं। उनके एमसीपी कार्ड भरे गए। उन्होंने बताया कि जिन महिलाओं में जोखिम की संभावना मिली उनके मातृत्व एवं शिशु सुरक्षा कार्ड पर लाल रंग की बिंदी/एचआरपी (हाई रिस्क प्वाइंट) मोहर लगाकर चिन्हित किया गया। समस्त केंद्रों में कुल 974 गर्भवती महिलाएं जांच के लिए आई, जिनमे से 43 महिलाओं को उच्च जोखिम वाली गर्भवस्था में रखा गया है। उन्होंने बताया कि चिन्हित महिलाओं को निरंतर स्वास्थ्य परीक्षण की सलाह दी गई है।
उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था है क्या?- उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था वह अवस्था है जिसमे माँ या उसके भ्रूण के स्वास्थ्य या जीवन को खतरा होता है। किसी भी गर्भावस्था में जहाँ जटिलताओं की संभावना अधिक होती है उस गर्भावस्था को हाई रिस्क प्रेगनेंसी या उच्च जोखिम वाली गर्भवस्था में रखा जाता है। इस तरह की गर्भावस्था को प्रशिक्षित डॉक्टर्स की विशिष्ट देखभाल की आवश्यकता होती है।
यह हैं निःशुल्क सुविधाएं
• समस्त गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच- हीमोग्लोबिन, शुगर (ओजीटीटी) यूरीन, ब्लड ग्रुप, एचआईवी, सिफलिस, वजन, ब्लड प्रेशर, अल्ट्रासाउंड एवं अन्य जांचें।
• टिटनेस का टीका, आयरन, कैल्शियम एवं आवश्यक दवाएं।
• समस्त गर्भवती महिलाओं के गर्भ की द्वितीय एवं तृतीय त्रैमास में कम से कम एक बार स्त्री रोग विशेषज्ञ अथवा एलोपैथिक चिकित्सक की देख-रेख में निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण।
• हाईरिस्क गर्भवती महिलाओं की पहचान, प्रबंधन एवं सुरक्षित संस्थागत प्रसव हेतु प्रेरित करना।
• पोषण परिवार नियोजन तथा प्रसव स्थान के चयन हेतु काउंसलिंग।
रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर